तो क्या रूस यूरोप पर कब्ज़ा करना चाहता है ? क्या रूस सिर्फ़ 36 घंटों में यूरोप के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लेगा ? आख़िर क्या चाहते हैं रूस के राष्ट्रपति ‘ब्लादीमीर पुतिन’ ? क्या ये तीसरे विश्व-युद्ध का आगाज़ है ? ज़रा सोचिए कि क्या वाकई में कोई देश सिर्फ 36 घंटों में यूरोप के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर सकता है ? क्या ये मुमकिन है ? ।
रूस सिर्फ़ 36 घंटों में यूरोप के एक बड़े हिस्से को कब्ज़े में कर सकता है lयह बात अमेरिका के एक फ़ौजी जनरल ने कही है l उनका कहना है कि अगर रूस के राष्ट्रपति पुतिन को गुस्सा आ जाए तो सिर्फ़ 36 घंटों के भीतर ही रूस यूरोप के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर सकता है l इस बात से तो आप सभी वाकिफ़ होंगे कि शुरुआत से ही रूस और अमेरिका दुनिया की दो सुपर पावर्स रहीं हैं और हमेशा से ही दोनों देशो को एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची रहती है ताकि विश्व मे नंबर वन बने रहने पर दुसरे देशों को हथियारों की आपूर्ति बनी रहे और देश की मुद्रा मे बढ़ोतरी हो l यही वजह है कि हमेशा से ही इन दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति रहती है l दरअसल पुतिन के गुस्से की वजह है नाटो (NATO) जिसका मुखिया ‘अमेरिका’ है
नाटो ‘द नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन’ (The North Atlantic Treaty Organization) l यह एक फ़ौजी गठबंधन है जिसकी स्थापना 1949 में की गई थी l दुनिया के 28 देशों को नाटो की सदस्यता प्राप्त है l कहा जा रहा है कि नाटो की नींव तो कई साल पहले रखी गई थी मगर नाटो ने काम करना तो अभी कुछ साल पहले ही शुरू किया है l कई जानकारों का मानना है कि नाटो के जरिए अमेरिका रूस को दबाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि अमेरिका नाटो का मुखिया है l कहा जाता है कि पुतिन को नाटो से सख्त नफ़रत है l उनका मानना है कि नाटो छल और कपट का दूसरा नाम है l पुतिन के अनुसार नाटो का काम सिर्फ रूस को भड़काना है, इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं l
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