कौन आपकी कब मदद कर दे ये कोई नहीं जानता । इसलिए कभी भी किसी का मज़ाक बनाने या उसे कुछ बोलने से पहले एक बार हर किसी को सोचना चाहिए. एक वाक्या कावेरी नदी के तट पर श्रीरंगापटनम मे घटा जहां एक बंदर ने 30 लोगों की जान बचाई।
ये घटना किसी अंधविश्वास या चमत्कार का नतीजा नहीं है। कावेरी नदी के किनारे एक ही परिवार के 30 लोग धार्मिक अनुष्ठान कर रहे थे। अनुष्ठान का आयोजन तट के किनारे लगे एक बड़े छायादार दरख्त के नीचे हो रहा था कि तभी पेड़ के ऊपर बैठे बंदर ने लोगों के ऊपर पेशाब करनी शुरू कर दी। सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार पूजा मे पेशाब गिरने से अनुष्ठान खंडित हो गया और वो लोग वहां से उठकर बंदर पर गुस्सा दिखाते हुए चले गए, लेकिन 27 लोगों के उठने के बाद भी अभी उस पेड़ के नीचे उसी परिवार के 3 लोग अपना सामान वहां से हटा रहे थे तभी अचानक वो पेड़ गिर गया और उसकी चपेट में तीनों लोग आ गए । जिसमें रत्नाम नामक शख़्स की मौत हो गई और बाकी दो लोग बुरी तरह घायल हो गये। लोगों की मानें तो बंदर को आभास हो गया था कि पेड़ गिरने वाला है इसलिए बेजुबान बन्दर ने इनकी जान बचाने को पेशाब करके लोगों को वहां से हटने का इशारा दिया । परिवार वाले जहां घर के एक सदस्य की हुई मौत से दुखी थे वहीं गांव के लोग बंदर का भी शुक्रियादा कर रहे थे वरना ये हादसा पूरे परिवार को अपनी चपेट में ले लेता और शायद ये घटना काफ़ी बड़ी हो जाती। कहा जाता है कि जानवर प्राकृतिक आपदाओं का अनुमान लगाने मे मनुष्य से कही ज्यादा संवेदनशील होते है और समय रहते दूसरे प्राणी को सचेत कर देते है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें