12 जून 2016

क्या क्रांतिवीर सरदार भगत सिहं क़ी आख़िरी इच्छा पूरी होगी ?



जब अंग्रेज भारत को लूटने के मक़सद से हमारे देश मे आये तो उस समय यानि वर्ष 1857 से पहले उनकी पुलिस नहीं बल्कि  सेना हुआ करती थी ।10 मई 1857 को भारत में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति हो गई । उस समय  नाना साहब, तात्याँ टोपे, मंगल पांडे भारत के महान क्रांतिकारी थे जो अपने देश के खिलाफ बोलने वाले या किशी भी प्रकार का सडयंत्र रचने वाले को बख्स्ते नही थे।इन् क्रांतिकारियों ने अपने जैसे वीर और निडर देश की खातिर कुर्बान हिने वाले 7 लाख 32 हजार युवको की फ़ौज बनाई थी और 10 मई 1857 को क्रांति करने का दिन चुना था। आपको आस्चर्य होगा आजकल के जैसे स्वचालित हथियार न होने के बाबजूद भी उन्होंने एक ही दिन में 2 लाख 50 हजार अंग्रेजो को काट डाला था ।इतनी बड़ी संख्या मे अपनों को कटता देख बचेखुचे अंग्रेज भाग खड़े हुए ।भारत के क्रांतिवीरों से लड़ाई मे हारने के  लगभग 1 साल बाद अंग्रेजो ने भारत के कुछ गद्दार राजाओ के साथ मिलकर दुबारा भारत मे घुसने की योजना बनाई । उन गद्दारों के वंसज आज भी भारत मे मौज़ूद हैं।जिनमे पटियाला के नवाब भी थे,जिनके वंसज आज कांग्रेस से चुनाव लड़ते है ,  के साथ मिल कर 1857 के भारत के महान क्रांतिकारियों का क़त्ल करवाया और दुबारा भारत में अंग्रेजों को घुसाया और उनको संरक्षण भी प्रदान किया।
अंग्रेज बहुत चालाक थे उन्होंने भारत मे दुबारा घुसने से पहले ही कि हमारे घुसते ही  दुबारा क्रांति ना हो जाये, इससे अपने को सुरक्षित करने के लिए इंडियन पुलिस एक्ट (INDIAN POLICE ACT) और भारत के क्रांतिकारियों  पर अत्याचार करने के लिए 34,735 (चौंतीस हज़ार सात सो पेंतीस) कानून बनाये ।जिसमे की अंग्रेजों की अपनी पुलिस के हाथ में लाठी डंडे और हथियार सौंप दिए गए और वो सब अधिकार दे दिए गए कि वे चाहे तो क्रांतिकारियों  पर जितने चाहे मर्जी डंडे चला सकते है ।साथ ही यह क़ानून भी बना दिया कि यदि क्रांतिकारी ने पुलिश की लाठी पकड़्ने की कोशिश  की  तो उसपर  मुकदमा चलेगा ।
बात उस समय की है की जब इन कानूनों को बढ़ावा देने के लिए साइमन कमीसन भारत आ रहा था और उसका बहिष्कार करने के लिए क्रांतिकारी लाला लाजपत राय जी आन्दोलन कर रहे थे वो शांतिपूर्वक तरीके से आन्दोलन कर रहे थे तभी एक अंग्रेज अधिकारी जिसका नाम जे.पी. सॉन्डर्स था , उसने लाला जी पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी और जानबूझकर उसने लाला जी के सर पे लाठियां मारी।  1 लाठी मारी 2 मारी 3 मारी 4 मारी 5, 10 ऐसे करते करते उस दुष्ट ने लाला जी के सिर पर 14 लाठियां मारी जिससे उनका सिर फट गया व खून बहने लगा और बाद में उनकी मृत्यु हो गई । आज की भांती ही देशभक्त अंदर ही अंदर सुलगते रहे पर गलत का विरोध करने की हिम्मत न जुटा सके।
अब कानून के हिसाब से सॉन्डर्स क़ो सज़ा मिलनी चाहिए थी इसलिये सरदार भगत सिहं ने पुलिस में शिकायत दर्ज की। मामला अदालत तक गया वहां भगत सिहं ने सफ़ाई दी कि आपके बनाये कानून के मुताबिक लाठिया कमर के नीचे तक मारी जा सकती  है लेकिन लाला जी के सर पर लाठियां क्यों मारी गयी? जिससे उनकी मौत हुई ।पुलिश भी अंग्रेज़ो की क़ानून भी अंग्रेजों के और जज भी अंग्रेजों के इसलिए अंग्रेजों की अदालत ने उनका तर्क नहीं माना और अदालत ने कहा सॉन्डर्स ने जो किया वो तो कानून में हैं ।उसने कोई कानून नहीं तोड़ा । इसलिये उसको बरी किया जाता है  और सॉन्डर्स बरी हो गया । सरदार तो पक्के देशभक्त थे भगत सिहं को गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा कि जिस अंग्रेजी न्याय व्यवस्था ने लाला जी को इन्साफ़ नहीं दिया और सॉन्डर्स को छोड़ दिया, उसको सज़ा मैं दूंगा । मे सॉन्डर्स को वहीं पहुंचाउंगा जहाँ इसने लाला जी को पहुँचाया है । और कुछ दिन बाद भगत सिहं ने सॉन्डर्स को गोली से उड़ा दिया। भारत ऎसे वीरों को आज भी प्रणाम करता है।
जब भगत सिहं को फ़ासीं होने वाली थी तो उससे कुछ दिन पहले वो लाहौर की जेल में बंद थे। तब कुछ पत्रकार उनसे मिलने जाया करते थे। तब एक पत्रकार ने भगत सिहं से पुछा कि  आपका देश के युवको के नाम यदि कोई सन्देश देना हो तो बताईये ? तब भगत सिहं ने कहा की मैं तो फ़ासीं चढ़ रहा हूँ लेकिन देश के नोजवानो को कहना चाहता हूँ जिस इंडियन पुलिस एक्ट अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कानून के कारण लाला जी हत्या हुई और जिसके कारण मैं फ़ासीं चढ़ रहा हूँ… देश नोजावानो को कहना चाहता हूँ कि आजादी मिलने से पहले-पहले किसी भी हालत में इस इंडियन पुलिस एक्ट को खत्म करवा देना। यही मेरी आखिरी इच्छा हैं, मेरे देश के प्रति मेरी भावना हैं।
आज़ादी के 67 साल हो गये। बीएस इतना फर्क आया कि गोरे चले गए और काले आ गए लेकिन आज तक किशी ने अंग्रेजों के बनाये कानूनों को बदलने की ज़हमत नही उठाई जिस वजह से आज भी वही कानून चलन मे  हैं देशभक्ति का ढोंग दिखाने वाले राजनीतिज्ञों के लिए इससे शर्म की बात क्या दूसरी हो सकती है ! आजादी के 67सालो  बाद भी इस इंडियन पुलिस एक्ट IPC Act  को खत्म नहीं किया गया है ? आज भी आप अकसर सुनंते हो पुलिस ने लाठी चार्ज किया। कभी अपनी जमीन की माँग कर रहे किशानो के ऊपर और कभी ग़रीब लोगो के उपर जो अपना हक़ मांग रहे हैं। सबसे ताजी घटना तो 4 जून 2011 की काली रात है जहाँ बड़े ही शांतिप्रिय तरीके से स्वामी रामदेव जी विदेशों में जमा काले धन को देश में वापस लाने के लिए और इस भ्रष्ट व्यवस्था में परिवर्तन लाने के लिए अपने सहयोगियों के साथ आन्दोलन कर रहे थे, देल्ही  पुलिस ने रात के लगभग 1 बजे सोते हुए मासूम लोगों पर बच्चों पर महिलाओं पर साधुसंतों पर लाठियां बरसानी शुरू कर दी ।पता नहीं कितने लोगो के हड्डियाँ टुटी और कितने घायल हो गये। इसी घटना में बहन राजबाला जी पुलिस की इस बर्बरता की शिकार हो गई और पुलिस ने उनपर जम कर लाठियां बरसाईं 26 सितम्बर 2011 सोमवार को उनका देहांत हो गया पुलिस की लाठियों का शिकार होकर बहन राजबाला वेंटिलेटर पर थी और उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए क्या यही है हमारा कानून क्या यही न्याय है ! क्यों ऐसा हुआ 04 जून को ये सब इसलिए हुआ की आज भी अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कानून का इस्तेमाल ये काले अंग्रेज मासूम लोगों पर कर रहे हैं और आज भी इनके हाथों में लाठियां हैं क्योंकि आज भी 1860 में बनाया गया वह इंडियन पोलिश एक्ट आज वैसा का वैसा ही इस देश में चल रहा है और ये काले अंग्रेज हम पर अन्याय करते हुए न्याय दिखाकर राज कर रहे हैं 
यह क़ानून केवल एक कानून नहीं है ऐसे 34,735 चौंतीस हज़ार सात सो पेंतीस  कानून जो अंग्रेजो ने भारत को लूटने और  गुलाम बनाने की योजना से बनाये थे, दुर्भाग्यवस देश मे आज भी वैसा का वैसा ही चल रहा है। भगत सिहं की आखरी इच्छा आज तक पूरी नहीं हुई है ।पता नहीं हर साल हम किस मुँह से उसका जन्म दिवस मनाते हैं। पता नहीं किस मुँह से 23 मार्च को उनको श्रध्दाजलि अर्पित करते हैं। जिन क्रूर अंग्रेजों द्वारा बनाये गए कानून के कारण लाला जी की जान गयी, जिस कानून के कारण भगत सिहं जैसे देशभक्त  फांसी पर चढे, हम 67 साल बाद भी हम उस कानून को मिटा नहीं पाये।जय हिन्द जय भारत 

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