जब से धर्मों का धारण सुरु हुआ है ,हिन्दू मुस्लिमो का एक होना बड़ी टेड़ी खीर हो गया है क्योंकी दोनों धर्मो के आपसी विचार,खान पान, रहन सहन अधिकतर बातों पर एक दुसरे के विपरीत होते है। इस बात से आपस मे मिलजुलकर रहने की दिशा मे विकृति पैदा हो जाती है और खुसनुमा माहोल दूषित ही जाता है। कुछ देशों जैसे यूनान, तुर्की और बुल्गारिया ने साम्प्रदायिक समस्या को पटरी मे लाने के लिए अपने देस के लोगों को वापस बुलाकर इस्लाम को मानने वाले लोगों को उनके देश भेज भी दिया । डॉ अम्बेडकर ने भी संविधान लिखने से पहले इन सब बातों पर गोर किया था। जो उन्होंने अपनी किताब के खंड 151, आंबेडकर सम्पूर्ण वाग्यम मे इसको आकार दिया। हिन्दू मुस्लिम एकता एक असम्भव कार्य है। भारत से मुसलमानो को पाकिस्तान भेजना और हिंदुओं को वहां से बुलाना ही एक मात्र हल है।सांप्रदायिक शांति हेतु अदला बदली के इस महत्वपूर्ण कार्य को न अपनाना अत्यंत उपहास्यपद होगा। विभाजन के बाद भी भारत मे साम्प्रदायिकता बनी रहेगी।पाकिस्तान मे रुके हुए अल्पसंख्यक हिंदुओं की रक्षा कैसे होगी। मुसलमानो के लिए हिन्दू काफ़िर है और सम्मान के योग्य नही हैं।मुसलमानो की भात्र भावना केवल मुस्लिम के लिए है।कुरान गैर मुस्लिम को मित्र बनाने का विरोधी है इसलिए हिन्दू सिर्फ घृणा और शत्रुता के योग्य है।मुसलमानो की निष्ठा भी केवल मुस्लिम देशों के प्रति रहती है। सच्चे मुसलमानो को इस्लाम भारत देश को अपनी मातृभूमि और हिंदुओं को अपना निकट संबंधी मानने की आज्ञा नही देता।यही कारण था कि मौलाना मुहम्मद अली जैसे भारतीय मुस्लमान ने अपने शरीर को भारत के बजाय येरूसलम मे दफ़नाना अधिक पसंद किया। मुस्लिम कानूनों के मुताबिक़ भारत हिन्दू और मुसलमानो की समान मात्रभूमि नही हो सकती।
31 मई 2016
इस्लाम पर डॉ अम्बेडकर के विचार।
जब से धर्मों का धारण सुरु हुआ है ,हिन्दू मुस्लिमो का एक होना बड़ी टेड़ी खीर हो गया है क्योंकी दोनों धर्मो के आपसी विचार,खान पान, रहन सहन अधिकतर बातों पर एक दुसरे के विपरीत होते है। इस बात से आपस मे मिलजुलकर रहने की दिशा मे विकृति पैदा हो जाती है और खुसनुमा माहोल दूषित ही जाता है। कुछ देशों जैसे यूनान, तुर्की और बुल्गारिया ने साम्प्रदायिक समस्या को पटरी मे लाने के लिए अपने देस के लोगों को वापस बुलाकर इस्लाम को मानने वाले लोगों को उनके देश भेज भी दिया । डॉ अम्बेडकर ने भी संविधान लिखने से पहले इन सब बातों पर गोर किया था। जो उन्होंने अपनी किताब के खंड 151, आंबेडकर सम्पूर्ण वाग्यम मे इसको आकार दिया। हिन्दू मुस्लिम एकता एक असम्भव कार्य है। भारत से मुसलमानो को पाकिस्तान भेजना और हिंदुओं को वहां से बुलाना ही एक मात्र हल है।सांप्रदायिक शांति हेतु अदला बदली के इस महत्वपूर्ण कार्य को न अपनाना अत्यंत उपहास्यपद होगा। विभाजन के बाद भी भारत मे साम्प्रदायिकता बनी रहेगी।पाकिस्तान मे रुके हुए अल्पसंख्यक हिंदुओं की रक्षा कैसे होगी। मुसलमानो के लिए हिन्दू काफ़िर है और सम्मान के योग्य नही हैं।मुसलमानो की भात्र भावना केवल मुस्लिम के लिए है।कुरान गैर मुस्लिम को मित्र बनाने का विरोधी है इसलिए हिन्दू सिर्फ घृणा और शत्रुता के योग्य है।मुसलमानो की निष्ठा भी केवल मुस्लिम देशों के प्रति रहती है। सच्चे मुसलमानो को इस्लाम भारत देश को अपनी मातृभूमि और हिंदुओं को अपना निकट संबंधी मानने की आज्ञा नही देता।यही कारण था कि मौलाना मुहम्मद अली जैसे भारतीय मुस्लमान ने अपने शरीर को भारत के बजाय येरूसलम मे दफ़नाना अधिक पसंद किया। मुस्लिम कानूनों के मुताबिक़ भारत हिन्दू और मुसलमानो की समान मात्रभूमि नही हो सकती।
30 मई 2016
अल्लाह तक जाने के रास्ते बन्द कर रहा है सऊदी अरब ?
इसे आपसी भाईचारा कहें या आपसी कलह या मनमुटाव,कि ईरान को कहना पड़ा कि सऊदी अरब अल्लाह के पवित्र तीर्थ मक्का तक जाने के रास्ते बन्द कर रहा है और हज पर जाने वाले श्रद्धालुओं को रोक रहा है। इसका मुख्य कारण दोनों देश के नेताओं के बीच आपसी कलह बताई जा रही है।
सऊदी अरब अगर ईरानियों को सितंबर में होने वाले हज में नहीं आने देता है तो यह पहली बार होगा जब 30 साल में ईरान के लोग हज नहीं कर पाएंगे। ईरान मुख्य रूप से शिया बहुल देश है। जबकि सऊदी अरब सुन्नी देश है।दोनों देश ईरानियों को हज करने देने या न करने देने के ऊपर विचार-विमर्श कर रहे हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल रहा है। ईरान के संस्कृति मंत्री अली जन्नती ने कहा है कि हम अभी किसी सहमति पर नहीं पहुंच सके हैं क्योंकि सऊदी अरब रोड़े अटका रहा है। उन्होंने कहा, 'सऊदी अरब ईरानियों के हज पर जाने के अधिकार का विरोध कर रहा है। इसके पीछे जो टकराव पैदा हुआ है उसकी मुख्य वजह यह है कि पिछले साल 60,000 ईरानी हज करने मक्का गए थे। लेकिन वहां मची भगदड़ में 2300 लोग मारे गए थे। इनमें 464 ईरानी थे। तब ईरान ने आरोप लगाया था कि सऊदी अरब ने हज की व्यवस्था ठीक से नहीं की।इस कारण जनवरी मे सऊदी अरब ने ईरान से राजनयिक रिश्ते तोड़ लिए थे। तब भीड़ ने ईरान की राजधानी तेहरान स्थित सऊदी दूतावास पर हमला कर उसे आग लगा दी थी जो कि टकराव की मुख्य वजह बनी।
29 मई 2016
क्या शिव और महाशिव एक ही हैं या दो ?
सनातन वैदिक धर्म अपने आप मे बड़े बड़े रहस्यों को समेटे हुए है। इसका सम्पूर्ण चिंतन वैज्ञानिकता से ओत प्रोत है। वैसे तो हिन्दू सनातन धर्म मे अनेक देवी देवताओं की महिमा का वर्णन है जिनका अपना अपना महत्व भी है। हिन्दू धर्म मे आस्था और विशवास रखने वाले लोग अनेक देवी देवताओं को अपनी भावनाओं के अनुसार अपना आराध्य मानते है और उनका जप, तप और व्रत रखकर अपने को निहाल करते है।जिन वस्तुओं का निर्माण प्रकृति ने किया है और जो मनुष्यों द्वारा निर्मित नहीँ है वे सभी चीजें देव तुल्य है। इस बात पर विज्ञान भी सहमत है कि हिन्दू सनातन धर्म मे जिन पांच भौतिक तत्वों का जिक्र है वे मनुष्य कृत नही है। आज विज्ञानं भी मानता है कि आर्टिकल से आर्टिकल की उत्पत्ति हुई है।जैसे पृथ्वी की उत्पत्ति जल से , जल की उत्पत्ति अग्नि से, अग्नि की उत्पत्ति वायू से और वायू की उत्पत्ति आकाश से हुई है। यहां पर एक रहस्य उजागर होता है क़ि आकाश की उत्पत्ति कैसे हुई। और क्यों सारे धर्म और सम्प्रदाय के लोग आकाश की तरफ देखकर ईस्वर से कुछ प्रार्थना करते है। क्या आकाश ही ईस्वर है ? या ईस्वर आकाश मे कहीं छिपा है ? अगर ईस्वर आकास मे छिपा है तो क्या आकाश को उसी ने बनाया है ? सभी धर्म कहते है और मानते है कि ईस्वर निराकार है।आकाश को छोड़कर चारों आर्टिकल का आकार भी है परंतु आकाश अनंत है इसका कोई आकार भी नही है। क्या यही ईस्वर है ? अगर यही ईस्वर है तो क्या इसके नाम ही शिव और महाशिव हैं ? यहां पर अड़चन आ जाती है। उत्तर साफ़ साफ़ नही मिल रहा। शिव का मतलब डिस्ट्रॉयर से है। तो क्या हम महाशिव को महाडिस्ट्रॉयर मान लें। जिस प्रकार विज्ञान कहता है कि आर्टिकल से आर्टिकल की उत्पत्ति हुई है इसी प्रकार आर्टिकल ही आर्टिकल का नाश भी कर देते है। जैसे पृथ्वी को जल अपने आप मे घोल लेता है पृथ्वी रहती ही नही। जल को अग्नी सुखा डालती है, जल रहता ही नही। अग्नी को वायु बुझा डालती है, अग्नि रहती ही नही। वायू को आकाश अपने मे समा लेता है। अंत मे फिर आकाश ही रह जाता है। सनातन वैदिक धर्म के अनुसार आकाश भी पांच आर्टिकल मे से एक आर्टिकल है ।और आर्टिकल का अपना एक आकार होता है। यदि आकार नही होगा तो उसको आर्टिकल नही कहा जा सकता। विज्ञानं के अनुसार यदि आकाश आर्टिकल है तो उसका भी एक न एक दिन नाश हो ही जायेगा। इससे यह बात साफ़ हो जाती है कि ईस्वर आकाश नही हो सकता क्योंकि सनातन वैदिक धर्म की प्रमाणिकता के अनुसार ईस्वर अजर, अमर, अविनाशी है। इसका न आरम्भ है और न ही अंत। ईस्वर सर्वशक्तिमान है। उसका नाश किशी काल या परिस्थिति मे नही हो सकता। विज्ञान यहां पर आकर ठहर जाता है। यहां से अध्यात्म सुरु होता है विज्ञानं नही जनता क़ि आकाश का निर्माण कैसे हुआ ।आर्टिकल कैसे बन गए, किसने बनाए इत्यादि। विज्ञानं अभी हेलोजन कोलोराएडर से नेनो साइन्स लगाकर इसकी जानकारी एकत्र कर रहे है। सनातन वैदिक धर्म मे इन रहस्यों के उत्तर छिपे हुए है। जिसमे शिव को डिस्ट्रॉयर यानि आकाश और महाशिव को सर्वशक्तिमान बताया गया है यानी जिसने आकाश को निर्मित किया है। इसी को सनातन वैदिक धर्म मे महाशिव, सदाशिव, महाकाल, महामृत्युंजय नामों से जाना जाता है।सनातन वैदिक धर्म की गहराईयाँ यहां पर आकर खत्म नही होती। वैदिक विज्ञानं ही आजके उन्नत विज्ञानं का आधार है। उसमें यह भी उल्लेख है कि इतनी भयानक और महाविनाशक चीज का स्रजन कैसे हो गया जिससे कोई भी बचा नही है। विज्ञानं के द्रिस्टीकोण से नासा के वैज्ञानिक वैदिक शास्त्रों को पढ़कर इसका अध्ययन कर रहे हैं।
28 मई 2016
इतना बड़ा श्री यंत्र ?अमरीकी वैज्ञानिक हैरान व् परेसान
दुनिया के समृद्ध और विकसित देश कहे जाने वाले अमेरिका में आज भी यह पहली अनसुलझी हैं कि आखिर यह हिन्दुओं का इतना बड़ा श्री यंत्र धरती पर कैसे बन गया ? और यदि इसको किशी ने बनाया तो ये कैसे बना …
हुआ यह कि इडाहो एयर नेशनल गार्ड का पायलट बिल मिलर 10 अगस्त 1990 को विमान की नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था तभी उसको ऊंचाई से ओरेगॉन प्रांत की एक सूखी हुई झील की रेत पर कोई विचित्र आकृति दिखाई दी। यह आकृति लगभग चौथाई मील लंबी-चौड़ी थी जबकी लगभग तीस मिनट पहले ही उसने इस मार्ग से उड़ान भरी थी तब उसका ध्यान इस और नही गया था। परंतु सबसे ज्यादा हैरान और परेसान करने वाली बात यह थी कि कई अन्य पायलट भी इसी मार्ग से लगातार उड़ान भरते थे, उन्होंने भी कभी इस विशाल आकृति को कभी नहीं देखा था जबकी आकृति का आकार इतना बड़ा था कि उसको आसमान से आसानी से देखा जा सकता था।
सेना में लेफ्टिनेंट पद पर कार्यरत बिल मिलर ने तत्काल इसकी रिपोर्ट अपने उच्चाधिकारियों को दी, कि ओरेगॉन प्रांत की सिटी ऑफ बर्न्स से सत्तर मील दूर सूखी हुई झील की चट्टानों पर कोई रहस्यमयी आकृति दिखाई दे रही है. मिलर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि यह आकृति अपने आकार और लकीरों की बनावट से किसी मशीन की आकृति प्रतीत होती है. इस खबर को लगभग सुरक्षा कारणों से तीस दिनों तक आम जनता से छिपाकर रखा गया ताकि सुचना सार्वजानिक होने पर उसके वास्तविक बनावट मे परिवर्तन की सम्भावना से सुरक्षित रखा जाये।
लेकिन फिर भी 12 सितम्बर 1990 को प्रेस को इसके बारे में पता चल ही गया।सबसे पहले बोईस टीवी स्टेशन ने यह ब्रेकिंग न्यूज़ दर्शकों को दिखाई ।जैसे ही लोगों ने उस आकृति को देखा तो तत्काल ही समझ गए कि यह हिन्दू धर्म का पवित्र चिन्ह “श्रीयंत्र” है. परन्तु किसी के पास इस बात का जवाब नहीं था कि हिन्दू आध्यात्मिक यन्त्र की विशाल आकृति ओरेगॉन के उस वीरान स्थल पर कैसे और क्यों आई?
14 सितम्बर को अमेरिका असोसिएटेड प्रेस तथा ओरेगॉन की बैण्ड बुलेटिन ने भी प्रमुखता से दिखाया जो आम व् खास लोगों मे चर्चा का विषय बना रहा। इसकी जानकारी एकत्रित करने के लिए वहां की सरकार ने अपने देश के विख्यात वास्तुविदों एवं इंजीनियरों से संपर्क किया तो उन्होंने भी इस आकृति पर जबरदस्त आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि इतनी बड़ी आकृति को बनाने के लिए यदि जमीन का सिर्फ सर्वे भर किया जाए तब भी कम से कम एक लाख डॉलर का खर्च आएगा।
श्रीयंत्र की बेहद जटिल संरचना और उसकी कठिन डिजाइन को देखते हुए जब इसे सादे कागज़ पर बनाना ही मुश्किल होता है तो सूखी झील में आधे मील की लम्बाई-चौड़ाई में जमीन पर इस डिजाइन को बनाना तो बेहद ही मुश्किल और लंबा काम है, यह विशाल आकृति रातोंरात नहीं बनाई जा सकती. इस व्यावहारिक निष्कर्ष से अंदाजा लगाया गया कि निश्चित ही यह मनुष्य की कृति नहीं है। इस श्री यंत्र की रचना इतनी विशाल थी कि इसे जमीन पर खड़े रहकर बनाना संभव ही नहीं था साथ ही इसकी आकृति को जमीन पर खड़े होकर भी पूरा नहीं देखा जा सकता था।इसको केवल सैकड़ों फुट की ऊँचाई से ही देखा जाना सम्भव था।
अंततः तमाम विद्वान, प्रोफ़ेसर, आस्तिक-नास्तिक, अन्य धर्मों के प्रतिनिधि इस बात पर सहमत हुए कि निश्चित ही यह आकृति किसी रहस्यमयी घटना का नतीजा है. फिर भी वैज्ञानिकों की शंका दूर नहीं हुई तो UFO पर रिसर्च करने वाले दो वैज्ञानिक डोन न्यूमन और एलेन डेकर ने 15 सितम्बर को इस आकृति वाले स्थान का दौरा किया और अपनी रिपोर्ट में लिखा कि इस आकृति के आसपास उन्हें किसी मशीन अथवा टायरों के निशान आदि दिखाई नहीं दिए है।
ओरेगॉन विश्वविद्यालय के डॉक्टर जेम्स देदरोफ़ ने इस अदभुत घटना पर UFO तथा परावैज्ञानिक शक्तियों से सम्बन्धित एक रिसर्च पेपर भी लिखा जो “ए सिम्बल ऑन द ओरेगॉन डेज़र्ट” के नाम से 1991 में प्रकाशित हुआ।
अपने रिसर्च पेपर में वे लिखते हैं कि अमेरिकी सरकार अंत तक अपने नागरिकों को इस दैवीय घटना के बारे कोई ठोस जानकारी नहीं दे सकी, क्योंकि किसी को नहीं पता था कि श्रीयंत्र की वह विशाल आकृति वहाँ बनी कैसे?
कई नास्तिकतावादी इस कहानी को झूठा और श्रीयंत्र की आकृति को मानव द्वारा बनाया हुआ सिद्ध करने की कोशिश करने वहाँ जुटे रहे लेकिन अपने तमाम संसाधनों, ट्रैक्टर, हल, रस्सी, मीटर, नापने के लिए बड़े-बड़े स्केल आदि के बावजूद उस श्रीयंत्र की आकृति से आधी आकृति भी ठीक से और सीधी नहीं बना सके। आज के परिपेक्ष मे निश्चित ही यह घटना सनातन वैदिक सभ्यता के विज्ञान की ऊंचाई को दर्शाती है।
27 मई 2016
पाकिस्तान गुलाम कश्मीर पर कब्ज़ा छोडे , यह भारत का हिस्सा। ब्रिटिश सांसद
पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर भारत के दावे का समर्थन करते हुए ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने कहा है कि इस मामले में वह खुद भारत के समर्थन में खड़े हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत गुलाम कश्मीर भी भारत का हिस्सा है और पाकिस्तान को इसे खाली करना चाहिए। पाकिस्तान का गुलाम कश्मीर पर कब्जा गैर कानूनी है।
ब्लैकमैन ने भारत के कई हिस्सों में हुए बड़े आतंकवादी हमले के लिए पाकिस्तान से कहा कि पड़ोसी देश भारत मे आतंकवादी भेजना बंद करें। उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर राज्य ने 1947 में भारत के साथ रहने का फैसला किया था और पाकिस्तान का इस राज्य पर कोई दावा नहीं था और न हो सकता है। पत्नी निकोल ब्लैकमैन के साथ राज्य के चार दिवसीय दौरे पर आए ब्रिटिश सांसद मंगलवार शाम को जम्मू में प्रेस क्लब के मीट द प्रेस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
पहली बार भारत और खासकर जम्मू एवं कश्मीर आए बॉब ने कश्मीर के बाद जम्मू के विभिन्न इलाकों का दौरा किया।उन्होंने खा कि दोनों देशों को आपसी समझ बूझ से इस द्वीपषीय मामले को सुलझा लेना चाहिए। इसमे किशी तीसरे देश ली मदयस्था का सवाल ही पैदा नही होता।उन्होंने कहा कि जितनी जल्दी यह मामला सुलझता है उतना कश्मीर की जनता के लिए अच्छा है ताकि यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर से निवेश आकर्षित हो। आज रोज़गार, सड़क, ऊर्जा, पर्यटन सहित अन्य क्षेत्रों का तेजी से विकास समय की मांग है। देश की अर्थव्यवस्था पर बॉब ने कहा, मोदी सरकार ने शानदार शुरुआत की है। विश्वास जगाया है और अब दो सालो के कार्यकाल के बाद जमीनी स्तर पर बदलाव महसूस हो रहा है। ब्रिटेन चाहता है कि भारत को यूनाइटेड नेशंस की सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाया जाए।जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र के ज्यादातर देश सहमत हैं।
26 मई 2016
क्या शास्त्रों के अनुसार मुसलमानो के गुरु शुक्राचार्य हैं ?
यह बहस का विषय रहा है कि मुसलमानों के पूर्वज क्या वाकई हिन्दू ही थे | दुनिया भर के मुसलमान चाहे इस सत्य को माने या ना माने, उनके रहन सहन के तरीके, उनकी मक्का मदीना की पूजा पद्धति, उनके पवित्र चिन्ह आदि उन्हें अंत मे हिन्दू धर्म से जोड़ते हैं | हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार असुरों के गुरु तथा महर्षि भृगु व असुर-राज हिरण्यकश्यप की पुत्री दिव्या की संतान, शुक्राचार्य मुस्लिम संप्रदाय के वास्तविक जनक थे | शुक्राचार्य ने राक्षसों का वंश बचाने के लिए भगवान् शिव की आराधना की थी, जिससे प्रसन्न होकर शिव जी ने अपना स्वरुप शिवलिंग शुक्राचार्य को प्रदान कर वैष्णवों से दूर रखने को कहा, साथ ही शिव जी ने शुक्राचार्य को यह भी बताया कि जिस दिन कोई भी वैष्णव इस शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ा देगा उस दिन राक्षस वंश का नाश हो जायेगा।
शुक्राचार्य ने महादेव द्वारा प्रदान किये शिवलिंग को भारतवर्ष के वैष्णव हिंदुओं से दूर अरब के रेगिस्तान में स्थापित किया जिसे आज मक्का मदीना के नाम से जाना जाता है । यहाँ तक कि “अरब” देश का नाम शुक्राचार्य के पौत्र “अर्व” के नाम पर ही पड़ा है ।शुक्राचार्य, मूल रूप से “काव्य ऋषि” थे जिस कारण उनके सम्मान में मक्का मदीना के शिवमंदिर को “काव्या” नाम दिया गया ,कालांतर में काव्या नाम विकृत होकर ‘काबा’ बन गया जिसे मुसलमानों का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है । अरबी भाषा में ‘शुक्र’ का मतलब ‘महान’ माना जाता है और “शुक्रं” अर्थात शुक्रिया। इस शब्द का जन्म भी गुरु शुक्राचार्य के नाम पर ही हुआ है ।मुसलमानों का पवित्र ‘जुम्मा’, शुक्रवार को मानने कि वजह भी गुरु शुक्राचार्य ही हैं |
रामायण के अनुसार सूपर्णखा का वध नहीं हुआ था और वह गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में ही रहने लगी थी रामायण के अनुसार भगवान श्री राम के आदेश पर लक्ष्मण ने सूपर्णखा के नाक-कान काट दिए थे और तभी से वह अपना चेहरा ढक कर रहती थी । सूपर्णखा के “चेहरा ढकने” की परंपरा को अरब देश की औरतें आज भी निभाती हैं ।अरब देशो के रेगिस्तान में तेज़ धूप होने की वजह से वहां के लोगों ने सिर ढकने के लिए टोपी पहनना शुरू कर दिया जो आगे चलकर उनकी पूजा पद्धति में शामिल हो गया । रेगिस्तान में उपजाऊ जमीन, अनाज आदि के अभाव में लोगों ने जानवरों को मारकर खाना शुरू किया और इस हत्या को “क़ुर्बानी” का नाम दिया गया । इंसानो के मरने के बाद उन्हें ज़मीन में दफ़न करने की परंपरा शुरू हुई जिसका मुख्य कारण रेगिस्तान में जलाने योग्य लकड़ी का ना होना था ।
काबा में ३६० मूर्तियां हैं जिनमे शनि और चन्द्रमा की मूर्तियां शामिल हैं । मुस्लिम इतिहासकारों के अनुसार इनमें से ही एक मूर्ति को अल्लाह का नाम दिया गया , शनि, चन्द्रमा के अलावा सूर्य और अन्य ग्रहों की मूर्तियां होना इस बात का प्रतीक है कि काबा में “नवग्रहों” की पूजा की जाती थी जैसा कि हिन्दू धर्म मे नवग्रहों की पूजा होती है और यह माना जा सकता मुसलमानों को “नवग्रह पूजा” सिखाना गुरु शुक्राचार्य का ही काम है ।अर्धचंद्र को हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता हैं क्योंकि यह भगवान् शिव के ललाट की शोभा बढ़ाता है ।अर्धचंद्र चिन्ह का काबा में महादेव के प्रतीक पर होना, इस चिन्ह को मुसलमानों में पवित्र बनाता है और इसे इस्लाम के झंडे पर स्थान दिया गया है ।
हिन्दू धर्म के पवित्र शब्द ओम के संस्कृत रूप “ॐ” को अगर शीशे में देखें तो यह अरबी भाषा में लिखे गए “अल्लाह” की तरह दिखाई देता है ।यहाँ तक कि मुसलमानों में पवित्र माना जाने वाला “७८६” अंक भी “ॐ” से ही बना है | ध्यान देने वाली बात ये है कि कोई भी मुसलमान इस बात को स्वीकार नहीं करता कि ७८६ अंक वास्तव में हिन्दुओं का वैदिक प्रतीक ॐ है | कोई भी मुस्लिम बुद्धिजीवी ये नहीं बता पाता कि अगर ७८६ अंक ॐ नहीं तो आखिर क्या है | मुसलमान मक्का जाकर काबा के शिवलिंग की सात बार परिक्रमा भी करते हैं जो बहुत पहले से चला आ रहा है । गुरु शुक्राचार्य ने यक़ीनन इस्लाम से पूर्व पैदा हुए अरब क्षेत्र के लोगों को हिन्दू पूजा पद्धति सिखाई होगी।
मक्का से कुछ ही दूरी पर एक बड़ा साईन बोर्ड लगा है जिसपर लिखा है कि इस क्षेत्र में गैर मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है। यह साइन बोर्ड उस समय का प्रतीक माना जाता है जब इस्लाम की शुरूआत हुई थी तथा यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि शुक्रचार्य ने भगवान शिव की दी हुई चेतावनी पर अमल करते हुए इस मंदिर के क्षेत्र में हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया होगा। जहां भगवान शिव का मंदिर होता है वहां पवित्र नदी का पानी भी पाया जाता है। हिंदु मंदिरों की यह परंपरा भी काबा से जुड़ी हुई है और मंदिर के साथ ही पवित्र पानी का श्रोत भी स्थित है जिसे जम-जम पानी के नाम से जाना जाता है।
25 मई 2016
मुस्लिम वोट के लिए सच का एनकाउंटर, बाटला कांड ।
19 सितंबर, 2008 को साउथ-ईस्ट दिल्ली के जामिया इलाके के बटला हाउस एनकाउंटर का सच सामने आ गया है। अदालत ने इस मामले के आरोपी शहजाद को शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या का दोषी तो ठहरा दिया है लेकिन अभी उसकी जिन्दगी पर फैसला होना बाकी है। इस फैसले के बाद एनकाउंटर को फर्जी बताने वाले लोगों को जवाब मिल गया है। यह फैसला दिल्ली पुलिस के लिए राहत भरा है क्योंकि शहजाद को दोषी साबित करना उसके लिए सबसे बड़ा चैलेंज था।
19 सितंबर 2008 की सुबह आठ बजे:इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की फोन कॉल स्पेशल सेल के लोधी कॉलोनी स्थित ऑफिस में मौजूद एसआई राहुल कुमार सिंह को मिली। शर्मा ने राहुल को बताया कि आतिफ एल-18 में रह रहा है और उसे पकड़ने के लिए टीम लेकर वह बटला हाउस पहुंच जाए।
राहुल कुमार सिंह अपने साथियों एसआई रविंद्र त्यागी, एसआई राकेश मलिक, हवलदार बलवंत, सतेंद्र विनोद गौतम आदि पुलिसकर्मियों को लेकर प्राइवेट गाड़ी में रवाना हो गए। एएसआई अनिल त्यागी, उदयवीर आदि पुलिसकर्मी भी चल पड़े। इस टीम के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा डेंगू से पीड़ित अपने बेटे को नर्सिंग होम में छोड़ कर बटला हाउस के लिए रवाना हो गए। वह अब्बासी चौक के नजदीक अपनी टीम से मिले। सभी पुलिस वाले सिविल कपड़ों में थे।
इस टीम में शामिल पुलिस वालों के मुताबिक, तब तक उन्हें यह निश्चित तौर पर पता नहीं था कि बटला हाउस में बिल्डिंग नंबर एल-18 में फ्लैट नंबर 108 में सीरियल बम धमाकों के जिम्मेदार आतंकवादी रह रहे थे। उनका कहना है कि यह टीम उस फ्लैट में मौजूद लोगों को पकड़ कर पूछताछ के लिए अपने साथ ले गए।
सुबह 10:55 बजे: प्लान के मुताबिक, एसआई धर्मेंद्र कुमार फोन कंपनी के सेल्समैन का लुक बनाए हुए थे। वह लैदर शूज पहन कर और टाई लगाए हुए थे। खुद को फोन कंपनी का एग्जेक्यूटिव बताते हुए वह फ्लैट के गेट खटखटाने लगे। अंदर सन्नाटा छा गया। बाकी पुलिस वाले नीचे इंतजार कर रहे थे। धर्मेंद्र ने नीचे आकर बताया कि फ्लैट से आवाजें आ रही थी, लेकिन खटखट करने पर सन्नाटा छा गया था। इंस्पेक्टर शर्मा समेत पुलिस वाले ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां चढ़ने लगे। दो पुलिसकर्मी नीचे खड़े रहे।
11:10 बजे: फायरिंग खत्म हो चुकी थी। इंस्पेक्टर शर्मा को दो गोलियां लगी। हवलदार बलवंत के हाथ में गोली लगी। आरिज और शहजाद पप्पू दूसरे गेट से निकल कर भागने में कामयाब रहे। गोलियां लगने से आतिफ अमीन और साजिद की मौत हो गई। फायरिंग की आवाजें सुनकर बिल्डिंग के फ्लैटों से निकल कर लोग सीढ़ियों से नीचे भागने लगे। इसी अफरातफरी का फायदा उठाकर आरिज और शहजाद भी भागने में कामयाब रहे। नीचे खड़े दो पुलिस वाले समझ ही नहीं पा रहे थे कि नीचे आ रहे लोग किस फ्लैट से निकल कर आ रहे थे। इसीलिए आरिज और शहजाद भाग गए।
11:13 बजे: नागरिक ओवेस मलिक ने 100 नंबर पर फोन करके फायरिंग की खबर दी। पीसीआर से जामिया नगर पुलिस चौकी को इस एनकाउंटर की खबर मिली। मेसेज फ्लैश कर दिया गया।
शाम 5 बजे: होली फैमिली हॉस्पिटल में इलाज के दौरान इंस्पेक्टर शर्मा का निधन हो गया।
24 मई 2016
वैदिक शिक्षा की तरफ भारत के बढ़ते कदम।
मोदी सरकार की तरफ से वेद विद्या को बढ़ावा देने के लिए एक नया प्लान तैयार किया जा रहा है। इसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय उज्जैन के एक स्वायत्त संस्था महार्षि संदिपानी राष्ट्रीय विद्या प्रतिष्ठान (MSRVVP) के साथ मिलकर एक नया एग्जामिनेशन बोर्ड बनाने की तैयारियों में लगा है जो की CBSE की तरह ही काम करेगा। हालांकि, कुछ ऐसा ही बाबा रामदेव भी करना चाहते थे, पर उन्हें यू पी ए की तत्कालीन केंद्र सरकार की तरफ से हरी झंडी नहीं मिली थी। इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक इसके लिए सरकार की तरफ से 5 सदस्यों की एक टीम को काम पर लगा दिया गया है। इस टीम का नेतृत्व सचिव देवी प्रसाद त्रिपाठी कर रहे हैं।उन्होंने इस बोर्ड को बनाने के लिए 6 करोड़ की मांग रखी है। इस बोर्ड का काम वेद की शिक्षाओं को भारत के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व मे फिर से स्थापित करना है
सरकार द्वारा इसे बोर्ड की मान्यता देने के बाद इसकी मान्यता भी बढ़ जाएगी। आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में हुई मीटिंग के वक्त तक इस संस्थान में 10,000 बच्चे शिक्षा ले रहे थे, जिसे सरकार का साथ मिलने के बाद 40,000 तक बढ़ाया जा सकता है। एक्सप्रेस के सूत्रों के मुताबिक, इन स्कूल में वेद और संस्कृत को मुख्य विषयों के तौर पर शामिल किया जाएगा। अगर ऐसा हो जाता है तो यह देश का पहला वैदिक एजुकेशन बोर्ड होगा।
23 मई 2016
मैंने गाँधी जी को क्यों मारा ? नाथू राम
60 साल तक भारत में प्रतिबंधित रहा नाथूराम का अंतिम भाषण “मैंने गांधी को क्यों मारा”
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी ।लेकिन नाथूराम गोड़से घटना स्थल से फरार नही हुआ बल्कि उसने आत्मसमर्पण कर दिया। नाथूराम गोड़से समेत 17 अभियुक्तों पर गांधी जी की हत्या का मुकदमा चलाया गया। इस मुकदमे की सुनवाई के दरम्यान न्यायमूर्ति खोसला से नाथूराम ने अपना वक्तव्य स्वयं पढ़ कर जनता को सुनाने की अनुमति माँगी थी जिसे न्यायमूर्ति ने स्वीकार कर लिया था | हालाँकि सरकार ने नाथूराम के इस वक्तव्य पर प्रतिबन्ध लगा दिया था लेकिन नाथूराम के छोटे भाई और गांधी जी की हत्या के सह-अभियोगी गोपाल गोड़से ने 60 साल की लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट में विजय प्राप्त की और नाथूराम का वक्तव्य प्रकाशित किया गया।नाथूराम गोड़से ने गांधी हत्या के पक्ष में अपनी 150 दलीलें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुति की। लुटियंस द्वारा पेश किये गए “नाथूराम गोड़से के वक्तव्य के मुख्य अंश”।
1. नाथूराम का विचार था कि गांधी जी की अहिंसा हिन्दुओं को कायर बना देगी । कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी को मुसलमानों ने निर्दयता से मार दिया था महात्मा गांधी सभी हिन्दुओं से गणेश शंकर विद्यार्थी की तरह अहिंसा के मार्ग पर चलकर बलिदान करने की बात करते थे। नाथूराम गोड़से को भय था गांधी जी की ये अहिंसा वाली नीति हिन्दुओं को कमजोर बना देगी और वो अपना अधिकार कभी प्राप्त नहीं कर पायेंगे।
2.1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोलीकांड के बाद से पुरे देश में ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ आक्रोश उफ़ान पे था। भारतीय जनता इस नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाने की मंशा लेकर गांधी जी के पास गयी, लेकिन गांधी जी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से साफ़ मना कर दिया।
3. महात्मा गांधी ने खिलाफ़त आन्दोलन का समर्थन करके भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता का जहर घोल दिया। महात्मा गांधी खुद को मुसलमानों का हितैषी की तरह पेश करते थे वो केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के 1500 हिन्दूओं को मारने और 2000 से अधिक हिन्दुओं को मुसलमान बनाये जाने की घटना का विरोध तक नहीं कर सके।
4. कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से काँग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गांधी जी अपने प्रिय सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे। गांधी जी ने सुभाष चन्द्र बोस को जोर जबरदस्ती करके इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर कर दिया।
5. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गयी। पूरा देश इन वीर बालकों की फांसी को टालने के लिए महात्मा गांधी से प्रार्थना कर रहा था लेकिन गांधी जी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए देशवासियों की इस उचित माँग को अस्वीकार कर दिया।
6. गांधी जी ने कश्मीर के हिन्दू राजा हरि सिंह से कहा कि कश्मीर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है अत: वहां का शासक कोई मुसलमान होना चाहिए। अतएव राजा हरिसिंह को शासन छोड़ कर काशी जाकर प्रायश्चित करना चाहिए जबकि हैदराबाद निज़ाम के शासन का गांधी जी ने समर्थन किया था , हैदराबाद हिन्दू बहुल क्षेत्र था ।गांधी जी की नीतियाँ धर्म के साथ, बदलती रहती थी। उनकी मृत्यु के पश्चात सरदार पटेल ने सशक्त बलों के सहयोग से हैदराबाद को भारत में मिलाने का कार्य किया ।गांधी जी के रहते ऐसा करना संभव नहीं होता ।
7. पाकिस्तान में हो रहे भीषण रक्तपात से किसी तरह से अपनी जान बचाकर भारत आने वाले विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली। मुसलमानों ने मस्जिद में रहने वाले हिन्दुओं का विरोध किया जिसके आगे गांधी नतमस्तक हो गये और गांधी ने उन विस्थापित हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे , मस्जिदों से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।
8. महात्मा गांधी ने दिल्ली स्थित मंदिर में अपनी प्रार्थना सभा के दौरान नमाज पढ़ी जिसका मंदिर के पुजारी से लेकर तमाम हिन्दुओं ने विरोध किया लेकिन गांधी जी ने इस विरोध को दरकिनार कर दिया। लेकिन महात्मा गांधी अपने जीवन काल मे एक बार भी किसी मस्जिद में जाकर गीता का पाठ नहीं कर सके ।
9. लाहौर मे सरदार वल्लभभाई पटेल की बहुमत से विजय हुई थी किन्तु अपनी जिद के द्वारा प्रधानमंत्री का यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिलाने मे महत्वपूर्ण भूमिका रही। गांधी जी अपनी मांग को मनवाने के लिए अनशन-धरना-रूठना किसी से बात न करने जैसी युक्तियों को अपनाकर काम निकलवाने में माहिर थे। इसके लिए वो नीति-अनीति का लेशमात्र विचार भी नहीं करते थे।
10. 14 जून 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, लेकिन गांधी जी ने वहाँ पहुँच कर प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि गांधी जी ने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा। न सिर्फ देश का विभाजन हुआ बल्कि लाखों निर्दोष लोगों का कत्लेआम भी हुआ लेकिन गांधी जी ने कुछ नहीं किया ।
11. धर्म-निरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के जन्मदाता महात्मा गाँधी ही थे। जब मुसलमानों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने का विरोध किया तो महात्मा गांधी ने सहर्ष ही इसे स्वीकार कर लिया और हिंदी की जगह हिन्दुस्तानी (हिंदी + उर्दू की खिचड़ी) को बढ़ावा देने लगे। बादशाह राम और बेगम सीता जैसे शब्दों का चलन शुरू हुआ।
12. कुछ एक मुसलमान द्वारा वंदेमातरम् गाने का विरोध करने पर महात्मा गांधी झुक गये और इस पावन गीत को भारत का राष्ट्र गान नहीं बनने दिया ।
13. गांधी जी ने अनेक अवसरों पर शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोबिन्द सिंह को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा। वही दूसरी ओर गांधी जी मोहम्मद अली जिन्ना को क़ायदे-आजम कहकर पुकारते थे।
14. कांग्रेस ने 1931 में स्वतंत्र भारत के राष्ट्र ध्वज बनाने के लिए एक समिति का गठन किया था इस समिति ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र को भारत का राष्ट्र ध्वज के डिजाइन को मान्यता दी किन्तु गांधी जी की जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।
15. जब सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया तब गांधी जी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे, ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
16. भारत को स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान को एक समझौते के तहत 75 करोड़ रूपये देने थे भारत ने 20 करोड़ रूपये दे भी दिए थे लेकिन इसी बीच 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया । केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण से क्षुब्ध होकर 55 करोड़ की राशि न देने का निर्णय लिया। जिसका महात्मा गांधी ने विरोध किया और आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप 55 करोड़ की राशि भारत ने पाकिस्तान दे दी ।
महात्मा गांधी भारत के नहीं अपितु पाकिस्तान के राष्ट्रपिता थे जो हर कदम पर पाकिस्तान के पक्ष में खड़े रहे, फिर चाहे पाकिस्तान की मांग जायज हो या नाजायज। गांधी जी ने कदाचित इसकी परवाह नहीं की ।
उपरोक्त घटनाओं को देशविरोधी मानते हुए नाथूराम गोड़से ने महात्मा गांधी की हत्या को न्यायोचित ठहराने का प्रयास किया । नाथूराम ने न्यायालय में स्वीकार किया कि माहात्मा गांधी बहुत बड़े देशभक्त थे उन्होंने निस्वार्थ भाव से देश सेवा की, मैं उनका बहुत आदर करता हूँ लेकिन किसी भी देशभक्त को देश के टुकड़े करने के ,एक समप्रदाय के साथ पक्षपात करने की अनुमति नहीं दे सकता हूँ ।गांधी जी की हत्या के सिवा मेरे पास कोई दूसरा उपाय नहीं था।
मुस्लिम देश में सदियों से जल रही है माँ की अखंड ज्योति!
भारत में माँ दुर्गा के अनेकों मंदिर हैं, पर एक ऐसा देश जहाँ 95 फीसदी मुस्लिम रहते हैं, वहां माँ का मंदिर हो यह तो किसी आश्चर्य से कम नहीं है। हम बात कर रहें हैं रूस और इरान के मध्य बसे मुस्लिम देश अजरबेज़ान की जहां सुराखानी नामक स्थान पर माँ भगवती का एक प्राचीन मंदिर है।
सादे पत्थरों से बने इस मंदिर की बनावट कुछ-कुछ मस्जिद की तरह है। यहाँ कई सदियों से पवित्र अग्नि निरंतर जलती आ रही है। ठीक ऐसी ही ज्योत माँ ज्वालाजी के मंदिर में भी जलती है। हिन्दू धर्म में अग्नि को बहुत पवित्र माना जाता है।
मंदिर में लगातार जलने वाली ज्योत के कारण इसे अतिशागाह और टेम्पल ऑफ़ फायर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के शिखर पर एक त्रिशूल भी स्थापित है। साथ ही इसकी दीवारों पर गुरुमुखी लेख भी अंकित हैं। इस मंदिर का निर्माण 17वीं या 18वीं शताब्दी के मध्य हुआ है। मंदिर में 1783 का उल्लेख किया गया है। कुछ इतिहासकारों का मानना हैं की मंदिर के निर्माता का नाम बुद्धदेव था और वह कुरुक्षेत्र के निकट हरियाणा के माद्जा गाँव का निवासी था।
इरान के लोग भी पहले यहाँ पूजा करने आते थे, परन्तु तुगलकी फरमानों के आतंक से 1860 ई. में यहाँ से पुजारी चले गये, और फिर कोई पुजारी लौट के वापस नहीं आया। तब से इस मंदिर में कोई भक्त पूजा करने नहीं आया।मुस्लिम देश होने के कारण भी कोई यहाँ दर्शन करने नहीं आता और न ही यहाँ माँ की जयकारों की गूँज सुनने को मिलती है। साँच को आंच कहाँ ? शक्ति अपना काम और कृपा किशी के पूजने या न पूजने के बजाय अपने भक्तों के ऊपर उनकी श्रद्धानुसार करती रहती है। जय माता दी।
22 मई 2016
What was in the Beginning? Creation of (God)
When Sat
Purush lived in latent form, He had not created the body and matter.As oil is
hidden in the lotus, in the same way Sat Purush used to live, hidden.In His
Will, He created the souls, and looking at them He felt very happy. From the
first Shabda(Word) created by Him, the worlds and ocean were created, in which
He dwelt.He made the throne of four worlds and sat on the lotus.Where Sat
Purush sat, desire was created there.In the will of Sat Purush eighty-eight
thousand islands were created.In all the worlds His desire exists. His desire
is very fragrant.
Manifestation of sixteen
sons
From the second Shabda(Word) of
Sat Purush the Kurma was created, With the desire of remaining attached
to His Feet. When Sat Purush uttered the third Shabda, a son named
Gyan(Knowledge) was born.
When he came before Sat Purush and bowed down to Him, He ordered him to go into
creation. When the fourth Shabda was made, the son named Vivek( Discretion
) was created. He was ordered to live in creation by Sat Purush. With the
fifth Shabda a brilliant light came into existence: When Sat Purush uttered the
fifth Shabda, Kal Niranjan was incarnated.
He is created from the most
glorious part of the body of Sat Purush that is why he troubles the soul. Souls
are of the essence of Sat Purush and no one knows their beginning and end. When
with His mouth, Sat Purush uttered the sixth Shabda, Sahaj(Spontaneous) was
born. With the seventh Shabda, Santosh(Satisfaction) was created, who was
given permission to go into creation. When Sat Purush uttered the eighth
Shabda, Surat was settled in the beautiful world.
With the ninth Shabda was created lnfinite Happiness
and the tenth Shabda created Forgiveness.The eleventh Shabda created a son
named Nishkam and the twelfth Shabda created a son named Jal-Rangi; The
thirteenth Shabda created Achint, and with the fourteenth was created Love.
With the fifteenth Shabda Din Dayal was born and the sixteenth Shabda created
Patience. With the seventeenth Shabda, Yoga and the Saints were created
They all were born from the same
origin. Shabda(Word) created all the sons, Shabda created all the worlds and
oceans. In every world the parts of His essence-the jivas (Soul) were settled
and their food was nectar. The beauty of the jivas is endless and always
happiness exists there; the glory of the jivas is endless and always happiness
exists there; the glory of the jivas is inaccessible and indescribable-who can
describe Their endless beauty? All the sons meditate on Sat Purush and eating
nectar, enjoy happiness
THE SONS OF SAT PURUSH
Each son represents an aspect of Sat Purush which
had to manifest separately in order for Creation to take place, even on the
highest spiritual level. "Creation," esoterically speaking, means
just this: God separating Himself into so many parts, which become the
Creation. Since the Ultimate Reality is the oneness of God. Not His many-ness,
there is a very real sense in which Creation on any level, even the highest, is
unreal and illusory
Note that Kal or Time is
also one of the sons, "Time" being a part of the whole that only
causes difficulties when separated from the rest. Thus the fall of Kal and the
whole lower creation are implicit in this first creative act of Sat Purush.
Because these aspects of Sat Purush are also presented as individuals, we are,
for the most part, leaving their Sanskrit names untranslated, as these names
connote individuality where the English words do not.
GYAN Knowledge in the
highest sense. This is the son of Sat Purush Who later incarnates as Sat
Sukrit, Maninder, Karunamai and Kaveer.
21 मई 2016
इंडोनेशिया में चमत्कार हुआ है लेकिन वहां के लोग इसे अमृत बता रहे हैं.
चमत्कार हमारी आस्था और विश्वास का आधार हैं साथ ही ईश्वर में हमारी श्रद्धा को भी बढ़ाते हैं. इंडोनेशिया मे सदियों पुराने एक हिन्दू मंदिर में प्राचीन क्रिस्टल शिवलिंग मिला है. इस शिवलिंग की ख़ास बात यह है कि इसके अंदर भरा हुआ पानी सदियां बीत जाने पर भी नहीं सूखा है. ये कोई चमत्कार है या नहीं, ये कोई नहीं जानता लेकिन वहां के लोग इसे अमृत बता रहे हैं।
मुस्लिम प्रधान देश इंडोनेशिया में क्रिस्टल का ऐसा शिवलिंग मिला है जिसे लेकर दुनियाभर के शिव भक्तों के मन में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. अगर इतिहास की बात करें तो 13वीं से 16वीं शताब्दी के बीच इंडोनेशिया में हिन्दू धर्म का लंबा इतिहास रहा है. वहां पर अभी भी पूरे देश में इससे जुड़े ढेरों उदाहरण हैं. इन उदाहरणों में बहुत सारे मंदिर भी शामिल हैं. लेकिन इस्लाम के बढ़ते प्रभाव के बाद वहां मंदिरों का बनना कम हो गया था. इसके साथ ही मध्य इस्लामिक काल में कई मंदिर क्षतिग्रस्त भी हो गए. इन्हीं मंदिरों में से एक है कंडी सुकोह, जिसका काफी हिस्सा ध्वस्त हो चुका है. यह मंदिर मुख्य जावा आइलैंड के बीच में स्थित है. ये इस्लाम के प्रभाव से पूर्व बना अंतिम मंदिर है. इसमें भगवान शिव और महाभारत काल से जुड़ी कई कलाकृतियां मौजूद हैं. भीम, अर्जुन और शिव की पूजा करती श्रीगणेश की कलाकृतियां होने के कारण ये मंदिर काफी महत्वपूर्ण है.यहां मौजूद अधिकतर बेसकीमती कलाकृतियों को इंडोनेशिया के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है, इनमें से एक 1.82 मीटर ऊँचा शिवलिंग भी है. यहां की सरकार ने सभी कलाकृतियों के संरक्षण और पर्यटकों के लिए उपलब्ध कराने के आदेश दिए, जिसके बाद कुछ नई कलाकृतियां दुनिया के सामने आईं. इनमें से एक है ये बेहद ही सुन्दर क्रिस्टल शिवलिंग, जो एक पीतल के बर्तन के भीतर सुरक्षित रखा गया था. अचरज की बात ये है कि इस बर्तन में जो पानी भरा हुआ था, वो इतनी सदियां बीत जाने के बाद भी सूखा नहीं है ।जिस बर्तन में ये शिवलिंग पाया गया है, वो उन कई जारों में से एक है, जो मंदिर के अंदर बने एक स्मारक के नीचे छुपाकर रखे गए थे.इस बर्तन में न सूखने वाले पानी के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी हो सकता है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये अमृत है. कुछ भी हो, लेकिन इस प्राचीन शिवलिंग ने फिर एक चमत्कार किया है और लोगों की ईश्वर पर आस्था बढ़ा दी है।
20 मई 2016
भारत मे निर्माणाधीन दुनिया की सबसे ऊंची इमारत।
वैदिक काल से भारत अध्यात्म और हिन्दू सनातन संस्कृति का केंद्र रहा है । वैसे तो भारत मे और विश्व मे हिंदुओं के अनेकानेक और भब्य मंदिर है, इनमे से कुछ तो वास्तुकला के अद्भुद नमूने है। पर अब जल्दी ही भारत मे राधे कृष्ण का एक और मंदिर बनने जा रहा है जो पूरी दुनिया को हैरान कर देगा।
दुनिया की सबसे ऊँची इमारत की अगर बात करे तो दिमाग में सीधे अरब की इमारत बुर्ज़ खलीफा का चित्र आता है । लेकिन बहुत जल्द ही यह इमारत भी दुनिया की दुसरे नंबर की सबसे ऊंची इमारतों मे शामिल होगी। क्योंकि कुछ वर्षों मे दुनिया की सबसे ऊँची इमारत भारत में बनने वाली है वो भी एक मंदिर के रूप में ।
यह दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर वृन्दावन में बन रहा है। इस मंदिर की इमारत दुनिया की सबसे ऊंची बुर्ज खलीफा से भी ऊंची होगी और इस मंदिर के शिखर से आगरा के ताजमहल का भी दीदार किया जा सकेगा । परंपरागत द्रविड़ और नगर शैली में बनाया जा रहा यह मंदिर, पिछले कई सालों में अब तक का सबसे मॉडर्न मंदिर होगा, जिसमें 4डी तकनीक से देवलोक और लीलाओं के दर्शन भी किये जा सकेंगे। इतना ही नहीं, इस मंदिर के आसपास प्राकृतिक वनों का वातावरण तैयार किया जाएगा और यमुनाजी का प्रतिरूप तैयार कर नौका विहार की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
जानकारी के अनुसार इस्कॉन संस्था की ओर से वृंदावन में बनाए जाने वाले 70 मंजिला चंद्रोदय मंदिर की ऊंचाई 210 मीटर होगी और इसे एक पिरामिड के आकार में बनाया जाएगा। इसे बनाने की तैयारियां 2006 से की जा रही थीं। कुल 511 पिलर वाला यह मंदिर 9 लाख टन भार सहने की क्षमता वाला होगा और 170 किलोमीटर की तीव्रता के तूफान को भी झेलने में सक्षम होगा।
19 मई 2016
रामायण की हर घटना बिलकुल सच
भगवान् राम की गाथा रामचरितमानस हर घर में पढ़ी जाने वाली पुस्तक है.. हमारे दादा परदादाओं को रामचरितमानस की चौपाइयाँ मुह जुबानी याद हुआ करती थी .. गांवों में आज भी बड़े बुजुर्गों को पूरी रामचरितमानस याद होती है .. समय समय पर रामायण के पाठ होते रहते है जिसमें बुजुर्गों से लेकर महिलाये और बच्चे भी भाग लेते है.. कहते है धन रंग जाति वर्ण के आधार पर बंटा भारत राम के नाम पर एकजुट हो जाता है।
लेकिन कुछ लोग रामायण की घटनाओं को झुठलाने का प्रयास करते हुए राम के अस्तित्व पर ही प्रश्न उठाते है.. उनके लिए हमने कुछ तथ्य जुटाए है जो किसी भी तार्किक व्यक्ति को समझ आ जायेगे.. लेकिन कहते है जो सोया हो उसे जगाया जा सकता है लेकिन जिसने सोने का नाटक किया हो उसे नहीं जगाया जा सकता इसलिए जो समझना नही चाहते उनके लिए सभी तर्क व्यर्थ है.. आइये जानते है भारत और श्रीलंका में कुछ ऐसी जगहें हैं जो इस बात का प्रमाण देती हैं कि रामायण में लिखी हर बात सच है.
1. हनुमान गढ़ी
यह वही जगह है जहां हनुमान जी ने भगवान राम का इंतज़ार किया था. रामायण में इस जगह के बारे में लिखा है, अयोध्या के पास इस जगह पर आज एक हनुमान मंदिर भी है.
2. द्रोणागिरी पर्वत
युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण को मेघनाथ ने मूर्छित कर दिया था और उनकी जान जा रही थी, तब हनुमान जी संजीवनी लेने द्रोणागिरी पर्वत गए थे. उन्हें संजीवनी की पहचान नहीं थी तो उन्होंने पूरा पर्वत ले जाने का निर्णय लिया. युद्ध के बाद उन्होंने द्रोणागिरी को यथास्थान पहुंचा दिया. उस पर्वत पर आज भी वो निशान मौजूद हैं जहां से हनुमान जी ने उसे तोड़ा था.
3. राम सेतु
रामायण और भगवान राम के होने का ये सबसे बड़ा सबूत है. समुद्र के ऊपर श्रीलंका तक बने इस सेतु के बारे में रामायण में लिखा है और इसकी खोज भी की जा चुकी है. ये सेतु पत्थरों से बना है और ये पत्थर पानी पर तैरते हैं.
4. अशोक वाटिका
हरण के पश्चात सीता माता को अशोक वाटिका में रखा गया था, क्योंकि सीता जी ने रावण के महल में रहने से मना कर दिया था. आज उस जगह को Hakgala Botanical Garden कहते हैं और जहां सीता जी को रखा गया था उस स्थान को ‘सीता एल्या’ कहा जाता है.
5. पंचवटी
नासिक के पास आज भी पंचवटी तपोवन है, जहां अयोध्या से वनवास काटने के लिए निकले भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण रुके थे. यहीं लक्ष्मण ने सूपनखा की नाक काटी थी.
6. जानकी मंदिर
नेपाल के जनकपुर शहर में जानकी मंदिर है. रामायण के अनुसार सीता माता के पिता का नाम जनक था और इस शहर का नाम उन्हीं के नाम पर जनकपुर रखा गया था. साथ ही सीता माता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है और उसी नाम पर इस मंदिर का नाम पड़ा है जानकी मंदिर. यहां सीता माता के दर्शन के लिए हर रोज़ हज़ारो श्रद्धालु आते हैं.
7. हनुमानजी के पद चिन्ह
जब हनुमान जी ने सीता जी को खोजने के लिए समुद्र पार किया था तो उन्होंने भव्य रूप धारण किया था. इसीलिए जब वो श्रीलंका पहुंचे तो उनके पैर के निशान वहां बन गए थे, जो आज भी वहां मौजूद हैं.
8. माता सीता की कुटिया
जब रावण माता सीता को लंका लाया था तब सर्वप्रथम रावण माता को कोतुवा ले गया था जो कि अब सीता कोतुवा नाम से श्रीलंका का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
9. पानी में तैरने वाले पत्थर
राम सेतु एक ऐसा पुल था जिसके पत्थर पानी पर तैरते थे. सुनामी के बाद रामेश्वरम में उन पत्थरों में से कुछ अलग हो कर जमीन पर आ गए थे. शोधकर्ताओं नें जब उसे दोबारा पानी में फेंका तो वो तैर रहे थे, जबकि वहां के किसी और आम पत्थर को पानी में डालने से वो डूब जाते थे.
10. रावण का महल
पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में एक महल मिला है जिसे रामायण काल का ही बताया जाता है. यहां से कई गुप्त रास्ते निकलते हैं जो उस शहर के मुख्य केंद्रो तक जाते हैं. ध्यान से देखने पर ये पता चलता है कि ये रास्ते इंसानों द्वारा बनाए गए हैं.
11. श्रीलंका में हिमालय की जड़ी-बूटी
श्रीलंका के उस स्थान पर जहां लक्ष्मण को संजीवनी दी गई थी, वहां हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों के अंश मिले हैं. जबकि पूरे श्रीलंका में ऐसा नहीं होता और हिमालय की जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना इस बात का बहुत बड़ा प्रमाण है.
12. लेपाक्षी मंदिर
सीता हरण के बाद जब रावण उन्हें आकाश मार्ग से लंका ले जा रहा था तब उसे रोकने के लिए जटायू आए थे. रावण ने उनका वध कर दिया था. आकाश से जटायू इसी जगह गिरे थे. यहां आज एक मंदिर है जिसे लेपाक्षी मंदिर के नाम से जाना जाता है.
13. लंका जलने के अवशेष
14. टस्क हाथी
रामायण के एक अध्याय, सुंदर कांड में श्रीलंका की रखवाली के लिए विशालकाय हाथी का विवरण है, जिन्हें हनुमान जी ने धराशाही किया था. पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में ऐसे ही हाथियों के अवशेष मिले हैं जिनका आकार आम हाथियों से बहुत ज़्यादा है.
15. कालानियां
रावण के मरने के बाद विभीषण को लंका का राजा बनाया गया था. विभीषण ने अपना महल कालानियां में बनाया था जो कैलानी नदी के किनारे था. पुरातत्व विभाग को इस नदी के किनारे उस महल के कुछ अवशेष भी मिले हैं.
16. दिवूरमपोला, श्रीलंका
रावण से सीता को बचाने के बाद भगवान राम ने उन्हें अपनी पवित्रता साबित करने को कहा था, जिसके लिए सीता जी ने अग्नि परीक्षा दी थी. आज भी उस जगह पर वो पेड़ मौजूद है जिसके नीचे सीता जी ने इस परीक्षा को दिया था. उस पेड़ के नीचे वहां के लोग आज भी अहम फ़ैसले लेते हैं.
17. रामलिंगम
रावण को मारने के बाद भगवान राम को पश्चाताप करना था क्योंकि उनके हाथ से एक ब्राहमण का कत्ल हुआ था. इसके लिए उन्होंने शिव की आराधना की थी. भगवान शिव ने उन्हें चार शिवलिंग बनाने के लिए कहा. एक शिवलिंग सीता जी ने बनाया जो रेत का था. दो शिवलिंग हनुमान जी कैलाश से लेकर आए थे और एक शिवलिंग भगवान राम ने अपने हाथ से बनाया था, जो आज भी उस मंदिर में हैं और इसलिए ही इस जगह को रामलिंगम कहते हैं
18. कोणेश्वरम मंदिर
रावण भगवान शिव की अराधना करता था और उसने भगवान शिव के लिए इस मंदिर की भी स्थापना करवाई. यह दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां भगवान से ज़्यादा उनके भक्त रावण की आकृति बनी हुई है. इस मंदिर में बनी एक आकृति में रावण के दस सिरों को दिखाया गया है. कहा जाता है कि रावण के दस सिर थे और उसके दस सिर पर रखे दस मुकुट उसके दस जगहों के अधिपत्य को दर्शाता है.
19. गर्म पानी के कुएं
रावण ने कोणेश्वरम मंदिर के पास गर्म पानी के कुएं बनवाए थे जो आज भी वहां मौजूद हैं।
18 मई 2016
जानिये पंद्रह किस्म के लोग जो मोदी जी को बिलकुल पसंद नहीं करते ।
1 अगर आप गांधी परिवार या केजरीवाल समर्थक हैं तो आपको मोदी की अच्छाई कभी नजर नहीं आएगी।
2 अगर आप एक सरकारी कर्मचारी हैं और आपको देर से आॅफिस आना अच्छा लगता है तो आपको मोदी बिल्कुल अच्छे नहीं लगते होंगे!
3 अगर आप एक घूसखोर कर्मचारी हैं तो निश्चय ही आपको प्रधानमंत्री मोदी से बहुत शिकायते होंगी!
4 अगर आपको सड़को या सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा करकट फैलाना अच्छा लगता है तो आपको सरकार की यह पहल की अपने डेढ़ को स्वच्छ रखना हर देशवासी का अपना भी कर्तव्य है ,सही नही लग रही होगी।
5 अगर आप चलती ट्रेन में गुंडागर्दी करने या लड़कियों को छेड़ने का शौक है तो मोदी सरकार आपके लिए मुश्किल का कारण बन सकती है। मोदी सरकार के रेल मंत्री ट्वीटर के जरिए शिकायत मिलने पर त्वरित कार्यवाही करवा रहे हैं।
6 अगर आप कोई गैर सरकारी संगठन चलाते हैं तो आपको मोदी सरकार से डर कर रहना पड़ता होगा क्योंकि आपको अपने खाते की पूरी जानकारी सरकार को मुहैया करानी पड़ती होगी।
7 अगर आप बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी के मालिक हैं तो यकीनन आपको मोदी सरकार से घृणा होगी क्योंकि आप अपने स्वार्थ के लिए सरकार को रिश्वत नहीं दे सकते।
8 अगर आप बीजेपी के सांसद हैं तो आप मोदी से परेशान होंगे क्योंकि मोदी मीटिंग्स में समय पर पहुंच जाते हैं और लेट आने वालों की एक्सट्रा क्लास लेते हैं।
9 अगर आप पाकिस्तानी सेना के सैनिक या पाकिस्तान के जासूस हैं तो आपको मोदी से डरने की जरूरत है क्योंकि भारतीय सेना बिना नई दिल्ली से आज्ञा लिए देश के दुश्मनों को खत्म करने का काम कर रही है।
10 यदि आप नीतिश कुमार या शत्रुघ्न सिन्हा हैं तो आप मोदी से नफरत करते होंगे क्योंकि मोदी की वजह से आपका प्रधानमंत्री बनने का सपना चूर चूर हो चुका है।
11 यदि आप एक भ्रष्ट मीडिया वाले हैं तो आपको मोदी से घृणा होगी क्योंकि आपको पिछली कांग्रेसी सरकारों की तरह मुफ्त में पैसे नहीं मिलते होंगे जिनके दम पर पिछली सरकार की बुराईयों को भी चमका कर पेश करते थे। ....
12 यदि आप एक स्वर्णकार हैं तो आपको एक्साइज ड्यूटी भरनी पड़ती होगी और हर बिक्री का पक्का बिल कस्टमर को देना पड़ता होगा जिससे आप चोरी नहीं कर पाते होंगे।
13 यदि आप एक ठेकेदार या बिल्डर हैं तो रियल स्टेट बिल की वजह से आप मोदी से घृणा करते होंगे।
14 अगर आप अपने टैक्स सही तरीके से नहीं भरते होंगे तो आपको मोदी सरकार से काफी शिकायतें होंगी।
15 अगर आपने मोदी के भाषण सही तरीके से नहीं सुने हैं तो आपको मोदी से शिकायत जरूर होगी क्योंकि आपको अपने खाते में 15 लाख आजतक नहीं मिले।
2 अगर आप एक सरकारी कर्मचारी हैं और आपको देर से आॅफिस आना अच्छा लगता है तो आपको मोदी बिल्कुल अच्छे नहीं लगते होंगे!
3 अगर आप एक घूसखोर कर्मचारी हैं तो निश्चय ही आपको प्रधानमंत्री मोदी से बहुत शिकायते होंगी!
4 अगर आपको सड़को या सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा करकट फैलाना अच्छा लगता है तो आपको सरकार की यह पहल की अपने डेढ़ को स्वच्छ रखना हर देशवासी का अपना भी कर्तव्य है ,सही नही लग रही होगी।
5 अगर आप चलती ट्रेन में गुंडागर्दी करने या लड़कियों को छेड़ने का शौक है तो मोदी सरकार आपके लिए मुश्किल का कारण बन सकती है। मोदी सरकार के रेल मंत्री ट्वीटर के जरिए शिकायत मिलने पर त्वरित कार्यवाही करवा रहे हैं।
6 अगर आप कोई गैर सरकारी संगठन चलाते हैं तो आपको मोदी सरकार से डर कर रहना पड़ता होगा क्योंकि आपको अपने खाते की पूरी जानकारी सरकार को मुहैया करानी पड़ती होगी।
7 अगर आप बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी के मालिक हैं तो यकीनन आपको मोदी सरकार से घृणा होगी क्योंकि आप अपने स्वार्थ के लिए सरकार को रिश्वत नहीं दे सकते।
8 अगर आप बीजेपी के सांसद हैं तो आप मोदी से परेशान होंगे क्योंकि मोदी मीटिंग्स में समय पर पहुंच जाते हैं और लेट आने वालों की एक्सट्रा क्लास लेते हैं।
9 अगर आप पाकिस्तानी सेना के सैनिक या पाकिस्तान के जासूस हैं तो आपको मोदी से डरने की जरूरत है क्योंकि भारतीय सेना बिना नई दिल्ली से आज्ञा लिए देश के दुश्मनों को खत्म करने का काम कर रही है।
10 यदि आप नीतिश कुमार या शत्रुघ्न सिन्हा हैं तो आप मोदी से नफरत करते होंगे क्योंकि मोदी की वजह से आपका प्रधानमंत्री बनने का सपना चूर चूर हो चुका है।
11 यदि आप एक भ्रष्ट मीडिया वाले हैं तो आपको मोदी से घृणा होगी क्योंकि आपको पिछली कांग्रेसी सरकारों की तरह मुफ्त में पैसे नहीं मिलते होंगे जिनके दम पर पिछली सरकार की बुराईयों को भी चमका कर पेश करते थे। ....
12 यदि आप एक स्वर्णकार हैं तो आपको एक्साइज ड्यूटी भरनी पड़ती होगी और हर बिक्री का पक्का बिल कस्टमर को देना पड़ता होगा जिससे आप चोरी नहीं कर पाते होंगे।
13 यदि आप एक ठेकेदार या बिल्डर हैं तो रियल स्टेट बिल की वजह से आप मोदी से घृणा करते होंगे।
14 अगर आप अपने टैक्स सही तरीके से नहीं भरते होंगे तो आपको मोदी सरकार से काफी शिकायतें होंगी।
15 अगर आपने मोदी के भाषण सही तरीके से नहीं सुने हैं तो आपको मोदी से शिकायत जरूर होगी क्योंकि आपको अपने खाते में 15 लाख आजतक नहीं मिले।
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