30 अप्रैल 2016

जो कांग्रेस करना चाहती थी ऐसा तो औरंगज़ेब भी नही सोचा था।जानिये कैसे ?

आप सभी जानते हैं कि औरंगज़ेब व् अन्य मुगलों तथा अंग्रेजों ने भारत को लूटा था और हिंदुओं का कत्लेआम किया था ,साथही इस लूट के साथ हिन्दू महिलाओं का बलात्कार भी किया था।उन्होंने भारत मे हिंदुओं के मंदिर तोड़े,धर्म का नाश किया। ये सब हम इतिहास पढ़ के जानते हैं।परंतु जो काम ओरंगजेब ने हिंदुओं के साथ नही किया,वह काम कांग्रेस करना चाहती थी , वह कांग्रेस जिसके बारे मे खुद महात्मा गांधी ने कहा था कि आज़ादी का मक़सद पूरा हुआ अब कांग्रेस को खत्म कर दिया जाना चाहिए , वही कांग्रेस चाहती है कि आज भारत से हिंदुओं का पूरा सफाया हो जाये।इस काम को अंजाम तक पहुचाने के लिए 2 सडयंत्र रचे गए थे।पहला था हिंदुओं को आतंकवादी घोसित करना और दूसरा था हिंदुओं के खिलाफ ऐसा क़ानून बनाना कि वह अपने देस मे ही गुलाम होकर रह जायें।पहले सडयंत्र के तहत जब गृहमंत्री शिंदे थे उन्होंने हिन्दू आतंकवाद का प्रयोग किया था।आपको याद होगया आज तक कांग्रेस ने मुस्लिम आतंकवाद सब्द का  प्रयोग भारत मे नही किया है।  यह सडयंत्र की सुरुवाद 2004 मे की गयी थी जब कांग्रेस के सरकार बनी थी।इस योजना के तहत 2006 मे माले गाँव ब्लास्ट, समझोता एक्सप्रेस ब्लास्ट, हैदराबाद की मस्ज़िद मे ब्लास्ट करना था।इसके अलावा हिन्दू नेताओं और संतो को पकड़ना और देश व् दुनिया मे दिखाना कि हिन्दू आतंकवादी है। इस सडयंत्र मे शिंदे से पहले चिदंबरम मुख्य रूप से सामिल थे। ब्लास्ट के बाद हिन्दू नेताओं की धरपकड़ सुरु हुई जिस पर आज तक भी कोई सबूत इकट्ठा नही हो पाये हैं इसके बाद कांग्रेस ने हिन्दू आतंकवाद सब्द का प्रयोग किया ताकि पूरी दुनिया मे यह संदेश चला जाये। आपको ध्यान होगा कि राहुल ने भी हिन्दू आतंकवाद को भारत के लिए खतरा बताया । ऐसा ब्यान दिया था। दूसरा सडयंत्र था हिंदुओं के खिलाफ ऐसा कानून बनाना कि हिन्दू अपने ही देश मे गुलाम हो जायें। यह कानून था सांप्रदयिकता विरोधी  कानून।इस कानून के तहत किशी भी इलाके मे कोई भी दंगा हो चाहे वो किशी ने भी सुरु किया हो,पर उसके लिए हिन्दू को जिम्मेदार माना जायेगा।चूँकि हिन्दू देश मे बहुसंख्यक है इसलिए। जिस इलाके मे दंगा होगा उस इलाके के हिंदुओं के ऊपर केश चलाया जायेगा।इस कानून मे यह नियम भी जोड़ा गया था कि अगर दंगा हुआ और हिन्दू महिला का बलात्कार हुआ तो वह् बलात्कार नही माना जायेगा।उदाहरण के तोर पे बंगाल के मुसलिम् बहुल्य इलाकों  मे भी यदि दंगा हो और हिन्दू महिला का बलात्कार हो तो बलात्कारियों पर केश नही चलेगा। इस कानून के हिसाब से देंगों के समय हिन्दू महिला के साथ बलात्कार कोई जुर्म नही होगा।मसलन दंगों मे आओ हिन्दू महिलाओं के साथ खूब बलात्कार कर सकते हैं। सोनिया और राहुल ने सडयंत्र रचा था कि दुनिया मे हिंदुओं को आतंकवादियों की तरह दिखाना है ताकि दुनिया को लगे कि भारत को तो हिन्दू आतंकवाद से खतरा है और दुनिया हिन्दू समाज से नफरत का भाव रखे। वहीं भारत मै ऐसा कानून बनायें कि हिंदुओं का जीना अपने ही देश मे नर्क सामान हो जाये और हिन्दू महिलाएं को बलात्कार की भेंट चढ़ने दिया जाये। और जब ऐसी खबरें आयें कि हिन्दू महिलाओं का बलात्कार हो रहा है तो दुनिया इसे सच माने और हिंदुओं को आतंकवादी समजकर नफरत करने लगे और यंहा भारत मे कांग्रेस हिंदुओं का सफाया कर दे। इस तरह  कांग्रेस ने भारत मे पहले हिंदुओं को गुलाम बनाने फिर समाप्त कर देने का सडयंत्र रचा। इस सडयंत्र का सूत्रधार कोण होगा, यह बताने की आवश्यकता नही है चूँकि हिन्दू खुद देख रहा है।

दुनिया मे हिन्दू सनातन वैदिक धर्म का सबसे बड़ा व् पुरातन मंदिर। अंकोरवाट

पौराणिक काल का कंबोजदेश का नाम इतिहास मे बदलते बदलते पहले कंपूचिया और फिर आज लोग इसको कंबोडिया के नाम से जानते हैं। सर्वप्रथम विश्व मे सनातन वैदिक धर्म होने के कारण ये हिन्दू देश था पर फिर गौतम बुद्ध के कलयुग मे अवतरण होने के बाद यह देश बौद्ध हो गया, यहां के ज्यादातर लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया लेकिन हिन्दुओं ने आज भी भगवन विष्णु के मंदिर को आबाद कर रखा है। सदियों से इस काल खंड में 27 राजाओं ने राज किया। कोई हिंदू रहा, कोई बौद्ध। यही वजह है कि पूरे देश में दोनों धर्मों के देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बिखरी पड़ी हैं। भगवान बुद्ध के साथ साथ यहाँ  शायद ही कोई ऐसी खास जगह हो, जहाँ ब्रह्मा, विष्णु, महेश में से कोई न हो और फिर अंगकोर वाट की बात ही निराली है। ये दुनिया का सबसे बड़ा विष्णु मंदिर है।
भगवान विष्णु के सम्मान करने के लिए बनाया गया अंगकोर वाट मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है और देवताओं के घर की एक प्रतिकृति माना जाता है। यह जगह अत्यंत पवित्र है।यह मंदिर दुनिया  में सबसे बड़ा धार्मिक मंदिरों में से एक है। पांच बड़े टावरों के मध्य का टावर जिसको  मेरु पर्वत के नाम से जानते है और जहां भगवान् शिव का स्थान है, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवन शिव दुनिया के केंद्र में रहते हैं।इस मंदिर में 108 कमल कली के आकार के टॉवर हैं , दोनों हिन्दू  और बौद्धों के लिए एक पवित्र स्थानों  में से हैं। 2,000 से अधिक दिव्य अप्सराओं की मूर्तियां यंहा दीवारों मे गढ़ी हैं। इन टावरों को अप्सराएं  का टावर कहा जाता है। अविश्वसनीय रूप से, यह बहुत बड़ी है, अलंकृत निर्माण मंदिर नक्षत्र 10,500 ईसा पूर्व के ड्रेको वसंत विषुव के लिए साथ संरेखित करता है। यह मंदिर बहुत रहस्यमयी है इतना विशाल आकार का मंदिर बहुत ही शांतिमय और सुखद वातावरण में है अंगकोर वाट की कलाए अद्भूत हैं |
सीताहरण, हनुमान का अशोक वाटिका में प्रवेश, अंगद प्रसंग, राम-रावण युद्ध, महाभारत जैसे अनेक दृश्य बेहद बारीकी से उकेरे गए हैं। अंगकोर वाट के आसपास कई प्राचीन मंदिर और उनके भग्नावशेष मौजूद हैं। इस क्षेत्र को अंगकोर पार्क कहा जाता है। अतीत की इस अनूठी विरासत को देखने हर साल दुनिया भर से दस लाख से ज्यादा लोग आते हैं।
सदियों पहले इतने भीमकाय पत्थरों को किस तरह तराशा गया होगा और किस तरह इतनी ऊँचाई तक स्थापित किया गया होगा, आज इसकी कल्पना भी कठिन है क्योंकि इस इमारत का एक पत्थर ही कई टनो का है ।भारत के लिए इस मंदिर का ऐतिहासिक ही नहीं पौराणिक महत्व भी है। क्योंकि यहाँ रामायण और महाभारत की कथाएँ उकेरी गई हैं।जो द्वापर व् त्रेता युग की याद दिलाता है। जय सनातन वैदिक धर्म

29 अप्रैल 2016

27 सालों बाद कश्मीरी पंडित फिर कर सकेंगे मंदिर मे पूजा। मोदी का आभार

पिछले 27 सालों से बन्द बेहद संवेदनशील रैनावाड़ी स्थित प्राचीन हिन्दू मंदिर में एक बार फिर भक्तो के भीड़ उमड़ रही  है।कश्मीरी पंडितो का गढ़ माने जाने वाला रैनावाड़ी इलाके मे  आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ जाने के कारण इस मंदिर को बंद कर दिया गया था। कश्मीरी पंडितो की ज्यादा जनसंख्या होने  की वजह से ये इलाका हमेशा से आतंवादियो के निशाने पर रहा था, और यह इलाका संवेदशील इलाको में से एक है ! मंदिर के दोबारा खोले जाने से वहां के स्थानीय लोग काफी खुश है और इस मौके पर विशेष पूजा अर्चना की गयी ।
आजतक के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक मंदिर के आस-पास साधु संतो की भीड़ से माहौल भक्तिमय हो गया है ।27 सालो बाद एक बार और मोदी सरकार की नीतियों के कारन एक बार फिर से  कश्मीरी पंडितो में अपने धर्म के प्रति आस्था और विश्वास और मजबूत होगा।दरअसल 1990 में यहाँ के कश्मीरी पंडितो को जम्मू और देश के दूसरे इलाको में विस्थापित कर दिया गया था ।और इस मंदिर को बंद कर दिया गया था ।
90 के दशक में रैनावाड़ी से कश्मीरी पंडितो के पलायन के बाद इसे बंद पड़ा देखकर गलत तरीके से मंदिर के जमीन को एक स्थानीय संस्था ने बिल्डर को दे दिया गया था।जिसके पता चलते ही कश्मीरी पंडितो ने कड़ा विरोध करते हुए केस फाइल किया और आखिकार उनकी जीत हुई, और मंदिर का द्वार श्रद्धालुयों के लिए एक बार फिर खोल दिया गया। कश्मीरी पंडितो की माँने तो ये मंदिर काफी प्राचीन है, फिलहाल मंदिर की देखभाल स्थानीय लोग कर रहे है !
एक कश्मीरी पंडित ने बताया कि जब कश्मीर में सबकुछ ठीक था तब इस मंदिर में अमरनाथ यात्रा के दौरान लंगर बांटा जाता था, भगवान भैरव के जन्म दिवस पर इस मंदिर में खास आयोजन किया जाता था, देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहाँ आते थे और कुछ विदेशी भक्त भी इस मंदिर के दर्शन को पहुंचते थे ! कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के मुताबिक 1990 से पहले कश्मीर में 583 मंदिर थे जिसमे से बहुत से मंदिरों को आतंकवादियों ने तोड़ दिया था और कश्मीरी पंडितों का क़त्ल कर दिया था।

हिम्मत है तो सोनिया को गिरफ्तार करके दिखायें। अरविन्द केजरीवाल

दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी में हिम्मत है तो हेलिकॉप्टर घोटाले में सोनिया गांधी को गिरफ्तार करके दिखाए।
हेलिकॉप्टर घूसकांड में मचे घमासान के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से ये बताने को कहा है कि घूसकांड का पैसा किसे मिला? बीजेपी सोनिया गांधी और कांग्रेस के भ्रस्टाचार पर जब भी हमलावर होती है तो कांग्रेस राज्यसभा नहीं चलने देती।
बड़ा सवाल ये है कि क्या सोनिया गांधी कांग्रेस राज में हुए भ्रष्टाचार के घूसखोरों का नाम बताएंगी ?
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सीधे-सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछा है कि वो बताएं कि हेलिकॉप्टर घूसकांड के पैसे किसे मिले? अमित शाह ने कहा कि कल सोनिया गांधी ने कहा था कि वह किसी से डरने वाली नहीं हैं. लेकिन हम भाजपा वाले संविधान से, नियमों से और लोकलाज से डरने वाले लोग हैं. सुब्रमण्यम स्वामी के अलावा अब तक सोनिया का नाम लेकर सीधे तौर पर बीजेपी का कोई बड़ा नेता नहीं बोल रहा था. लेकिन अब बीजेपी की ओर से मोर्चा खुद पार्टी के अध्यक्ष ने संभाल लिया है.
कल घूसकांड के आरोपों पर सफाई देने के लिए सोनिया जब मीडिया के सामने आई तो उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए नहीं डरने वाला बयान दिया था.
घूसकांड में सोनिया का नाम लिये बिना सुब्रमण्यम स्वामी ने आज फिर राज्यसभा में मुद्दा छेड दिया. नतीजा हुआ कि कांग्रेस के सांसद हंगामा करने लगे और फिर उपसभापति ने तमाम टिप्पणियों को कार्यवाही से निकाल दिया।

सुब्रमण्यम स्वामी अपनी बात कह तो नहीं पाए लेकिन संसद जाने से पहले उन्होंने मीडिया को जरूर ये बताया था कि उनके पास घूसकांड को लेकर कई दस्तावेज मौजूद हैं जिसमै इटली हाइकोर्ट का फैसला प्रमुख है जिसमें सोनिया गांधी का नाम प्रमुखता से लिया गया है। उन्होंने खा कि ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलीकाप्टर की डील खुद सोनिया गांधी कर रही थी।
उधऱ ईडी सूत्रों के मुताबिक पूर्व वायुसेनाध्यक्ष एसपी त्यागी को ईडी जल्द ही पूछताछ के लिए बुलाएगा. इस बीच एबीपी न्य़ूज से बात करते हुए पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी के फुफेरे भाई राजीव त्यागी ने कहा है कि घूसकांड से उनका लेना देना नहीं है।

यूपीए राज में इटली से आगूस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर का सौदा हुआ था. इस मामले में इटली की अदालत में साबित हो गया है कि सौदे के लिए घूस दी गई थी. घूस लेने के आरोप सोनिया गांधी और उऩके करीबी नेताओं पर लग रहे हैं. और बीजेपी सोनिया से जवाब मांग रही है.

ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलुकोप्टेर के घोटाले की दलाली की गोपनीयता बनाये रखने का पर्दाफास।

इटली की हाईकोर्ट में आरोप साबित
दरअसल भारतीय मीडिया को 45 करोड़ रुपये दिए जाने की बात सिर्फ आरोप ही नहीं है। इटली में मिलान की अदालत में अलग-अलग काम के लिए बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को 330 करोड़ रुपये के भुगतान की बात साबित भी हुई है। वीवीआईपी अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टरों का सौदा 2009 में मनमोहन सिंह सरकार के वक्त हुआ था, जबकि ‘भारतीय मीडिया को मैनेज करने’ के लिए 45 करोड़ रुपयों का भुगतान जनवरी 2010 में किया गया।
फाइवस्टार होटल में ‘मैनेज’ हुआ मीडिया
इटली की अदालत में चले केस के मुताबिक क्रिश्चियन मिशेल दिल्ली के फाइवस्टार द क्लैरिजेज़ (The Claridges) होटल में ठहरा था। यहां पर उसकी भारतीय मीडिया के कई बड़े लोगों और कुछ ब्यूरोक्रेट्स के साथ मीटिंग हुई। 2010 से 2013 तक भारतीय मीडिया ने इतने बड़े रक्षा सौदे को लेकर चल रहे विवादों पर एक भी शब्द नहीं लिखा। इनमें ज्यादातर बड़े अखबार और टीवी चैनल शामिल हैं। 2013 में जब इटली की जांच एजेंसी ने हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी फिनमेकेन्निका के चीफ को गिरफ्तार कर लिया तब जाकर भारतीय मीडिया में पहली बार यह खबर आई कि डील को लेकर धांधली के आरोप लगे हैं।
किन किन लोगों तक 45 करोड़ रुपये पहुंचे? इस सवाल का जवाब भारतीय मीडिया के दो बड़े चेहरों राजदीप और बरखा से पूछा जा रहा है। द हिंदू अखबार ने 27 अप्रैल के अपने अंक में क्रिश्चियन मिशेल के कथित तौर पर पीएम मोदी को लिखी एक चिट्ठी को छापा था। इस चिट्ठी की पुष्टि अभी तक नहीं हो सकी है, लेकिन कुछ बड़े पत्रकार इस चिट्ठी में लिखी बातों को तूल देने की कोशिश करते रहे। यह सवाल भी आता है कि इस लेटर को मीडिया को किसने लीक किया? दूसरा सवाल ये कि अगर ये चिट्ठी असली है तो इसमें क्रिश्चियन मिशेल ने अपना पूरा नाम लिखने की बजाय सिर्फ खुद को सिर्फ ‘James’ क्यों लिखा है? बरखा और राजदीप को कैसे यह बात पता चल गई कि जेम्स ही क्रिश्चियन मिशेल है? कहीं ऐसा तो नहीं कि भारतीय मीडिया को ‘मैनेज’ करने के लिए दिए गए 45 करोड़ रुपए असर दिखा रहे हैं? राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट करके कहा है कि वो मीडिया के उन नामों के बारे में जानना चाहते हैं। यह कैसे संभव है कि इतनी बड़ी रकम की लेनदेन हुई हो और संपादक को ही खबर न हो।



यह बात भी सामने आई है कि जेल में बंद हथियारों के कुख्यात दलाल अभिषेक वर्मा का भी इस डील में अहम रोल था। क्रिश्चियन मिशेल के लिए दिल्ली में ग्राउंड वर्क उसी ने किया था। उसी ने मिशेल को दिल्ली में बड़े पत्रकारों से मिलवाया। अभिषेक वर्मा के पिता श्रीकांत वर्मा खुद पत्रकार और कांग्रेस के नेता रहे हैं। वो दो बार राज्यसभा में भी रह चुके हैं। 1970 के दशक में श्रीकांत वर्मा राजीव और सोनिया गांधी को हिंदी पढ़ाया करते थे। उनकी पहचान गांधी परिवार के सबसे विश्वस्त लोगों में होती थी। लेकिन भारतीय मीडिया के कुछ दिग्गज बार-बार अभिषेक वर्मा को क्लीनचिट देते रहे हैं। तब CNN-IBN चैनल के पत्रकार भूपेंद्र चौबे ने तो बाकायदा ट्वीट करके कहा था कि अभिषेक वर्मा का कोई लिंक नहीं है। सवाल यह भी उठता है कि मीडिया के कुछ दिग्गजों को इस केस में आखिर इतना इंटरेस्ट क्यों था? और क्यों वो जांच को भटकाने की बचकानी कोशिशें कर रहे थे?


28 अप्रैल 2016

कश्मीर मे हिंदुओं का कत्लेआम, कोई रिपोर्टिंग नही। कहाँ गया मानविधिकार।


उनको मारा गया तब आप बहुत काम जानकारी रखते हैं और बड़े धोखे में हैं 
देखिये ये लिस्ट कब कब हिन्दुओ पर घोर बर्बरता ढाई गयी, पर मानवाधिकारों की बात करने वाले बुद्धिजीवि इसपर कुछ नहीं बोलते 
कोई मीडिया वाला इसे नहीं बताता क्यूंकि हिन्दुओ के जान की कोई कीमत थोड़े है उनकी नजर में
* 1 अगस्त93   को जम्मू में डोडा के भदरबाह क्षेत्र के सारथल में बस रोकर उसमें से हिन्दुओं को छांट कर 17 हिन्दुओं का जिहादियों द्वारा नरसंहार किया गया ।
* 14 अगस्त 1993 को किस्तबाड़ डोडा जिले में जिहादियों ने बस रोककर उसमें से हिन्दुओं को अलग कर 15 हिन्दुओं का कत्ल कर दिया व हिन्दुओं के साथ सफर कर रहे मुसलमानों को जाने दिया।

* 5 जनवरी 1996 में डोडा के बारसला गांव में पड़ोसी जिहादियों द्वारा 16 हिन्दुओं का कत्ल कर दिया गया
* 12 जनवरी 1996 डोडा के भदरबाह में जिहादियों द्वारा 12 हिन्दुओं का कत्ल
* 6 मई 1996 डोडा के सुम्बर रामबन तहसील में 17 हिन्दुओं का जिहादियों द्वारा कत्ल
* 7-8 जून को डोडा के कलमाड़ी गांव में जिहादियों द्वारा 9 हिन्दुओं का कत्ल

* 25 जनवरी 97 को डोडा जिला के सम्बर क्षेत्र में जिहादियों द्वारा 17 हिन्दुओं का कत्ल
* 26 जनवरी 97 को बनधामा श्रीनगर में 25 हिन्दुओं का कत्ल जिहादियों द्वारा किया गया ।
* 21 मार्च 1997 को श्रीनगर के दक्षिण में 20 किलोमीटर दूर संग्रामपुर में जिहादियों द्वारा 7 हिन्दुओं को  घर से निकाल कर कत्ल कर दिया गया
* 7 अप्रैल97 को संग्रामपुर में 7 हिन्दुओं का कत्ल
* 15 जून97 को गूल से रामबन जा रही बस से जिहादियों द्वारा 3 हिन्दू यात्रियों को उतार कर गोली मार दी गई ।
* 24 जून97 को जम्मू के रजौरी के स्वारी में जिहादियों द्वारा 8 हिन्दुओं का कत्ल

* 25 जनवरी98 शाम को दो दर्जन जिहादियों श्रीनगर से 30 कि मी दूर गांव वनधामा में आय चाय पी और आधी रात के बाद गांव में 23 हिन्दुओं का कत्ल कर चले गए । सिर्फ विनोद कुमार बच पाया । जिसने अपने मां बहनों रिश्तेदारों को आंसुओं से भरी आंखों से देखा । वहां चारों तरफ खून ही खून बिखरा पड़ा था ।
* 17 अप्रैल98 को उधमपुर के प्रानकोट व धाकीकोट मे जिहादियों द्वारा 29 हिन्दुओं का कत्ल किया गया । जिसके बाद इन गांव के लगभग 1000 लोग घर से भाग कर अस्थाई शिवरों में रहने लगे ।
* 18 अप्रैल98 को सुरनकोट पुँछ में जिहादियों  द्वारा 5 हिन्दुओं का कत्ल
* 6 मई98 को ग्राम रक्षा स्मिति के 11 सदस्यों का कत्ल
* 19 जून98 को डोडा के छपनारी में 25 हिन्दुओं का कत्ल जिहादियों द्वारा शादी समारोह पर हमला कर किया गया
* 27 जून 98को डोडा के किस्तबाड़ में 20 हिन्दुओं का कत्ल
* 27 जुलाई 98को सवाचलित हथियारों से लैस जिहादियों ने थकारी व सरवान गांव में 16 हिन्दुओं का कत्ल किया ।
* 8 अगस्त 98को हिमाचल प्रदेश में चम्बा और डोडा की सीमा पर कालाबन में जिहादियों द्वारा 35 हिन्दुओं का कत्ल

* 13 फरवरी99 को उधमपुर में जिहादियों द्वारा 5 हिन्दुओं का कत्ल
* 19 फरवरी99 को जिहादियों की इसी गैंग ने रजौरी में 19 व उधमपुर में 4 हिन्दुओं का कत्ल
* 24 जून99 को जिहादियों द्वारा अन्नतनाग के सान्थु गांव में 12 बिहारी हिन्दू मजदूरों का कत्ल
* 1 जुलाई99 को मेन्धार पुँछ में 9 हिन्दुओं का जिहादियों द्वारा कत्ल
* 15 जुलाई99 को डोडा के थाथरी गांव में जिहादियों द्वारा 15 हिन्दुओं का कत्ल
* 19 जुलाई 99को डोडा के लायता में 15 हिन्दुओं का जिहादियों द्वारा कत्ल

* 28 फरवरी 2000को अन्नतनाग में काजीकुणड के पास 5 हिन्दू चालकों का जिहादियों द्वारा कत्ल
* 28 फरवरी को2000 इसी जगह पर 5 सिख चालकों का इन्हीं जिहादियों द्वारा कत्ल
* 1अगस्त2000 को पहलगांव में अमरनाथ यात्रियों सहित सहित 31 हिन्दुओं का आतंकवादियों द्वारा कत्ल कर दिया गया ।
* 1अगस्त 2000को ही अन्नतनाग के ही काजीकुण्ड और अछाबल में 27 हिन्दू मजदूरों का कत्ल ।
* 2 अगस्त2000 को कुपबाड़ा में जिहादियों द्वारा 7 हिन्दुओं का कत्ल
* इसी दिन डोडा में 12 हिन्दुओं का कत्ल
* इसी दिन डोडा के मरबाह में 8 हिन्दुओं का कत्ल
* 24 नवम्बर 2000को किस्तबाड़ में 5 हिन्दुओं का कत्ल

* 3 फरवरी2001 को 8 सिखों का कत्ल माहजूरनगर श्रीनगर में जिहादियों द्वारा किया गया ।
* 11 फरवरी2001 को रजौरी के कोट चरबाल में 15 गुजरों का कत्ल किया गया जिसमें छोटे-छोटे बच्चों का भी कत्ल कर दिया गया ।इनका अपराध यह था कि ये जिहादियों के कहे अनुसार हिन्दुओं के शत्रु नहीं बने ।
* 17मार्च  2001को अथोली डोडा में 8 हिन्दुओं का कत्ल जिहादियों द्वारा किया गया ।
* 2001मई 9-10 को डोडा के पदर किस्तबाड़ में 8 हिन्दुओं को गला काट कर जिहादियों द्वारा हलाल कर दिया गया । सब के सब शव क्षत विक्षत थे ।
* 21 जुलाई2001 को बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा पर हमले में जिहादियों द्वारा 13 हिन्दुओं का कत्ल किया गया । इस हमले मे 15 हिन्दू घायल हुए । जिहादियों ने शेषनाग में बारूदी शुंरगों से विस्फोट कर सैनिकों को गोलीबारी में उलझाकर पवित्र गुफा पर हमला कर भोले नाथ के भक्तों का कत्ल किया ।
* 21 जुलाई 2001को किस्तबड़ डोडा में 20 हिन्दुओं को जिहादियों द्वारा मारा गया
* 22 जुलाई 2001को डोडा के चिरगी व तागूड में 15 हिन्दुओं को उनके घरों से निकाल कर जिहादियों ने कत्ल किया
* 4 अगस्त2001 को डोडा के सरोतीदार में जिहादियों द्वारा 15 हिन्दुओं का कत्ल किया गया ।
* 6 अगस्त2001 को स्वचालित हथियारों से लैस तीन जिहादियों ने जम्मू रेलवेस्टेशन पर हमलाकर 11 लोगों का कत्ल कर दिया व 20 इस हमले में घायल हुए ।

* 1 जनवरी2002 को पूँछ के मगनार गाँव में 6 हिन्दुओं का कत्ल किया गया
* 7 जनवरी 2002को जम्मू के रामसूर क्षेत्र में 17 व बनिहाल के सोनवे-पोगल क्षेत्र में 6 हिन्दुओं का कत्ल किया गया
* 17 फरवरी 2002को रजौरी के भामवल-नेरल गाँव में जिहादियों द्वारा 8 हिन्दुओं का कत्ल किया गया ।
* 14 मई2002 को जम्मू-पठानकोट राजमार्ग पर कालुचक में जिहादियों द्वारा 33 सैनिकों व सैनिकों को परिवारों के लोगों का कत्ल किया गया जिसमे 6 बस यात्री भी शामिल थे ।
* 13 जुलाई2002 को राजीव नगर(क्वासीम नगर) जम्मू में 28 हिन्दुओं का कत्ल किया गया । मरने वालों में 3 साल का बच्चा भी था ।
* 30 जुलाई 2002को जिहादियों ने अमरनाथ यात्रियों को वापिस ला रही कैब को अन्नतनाग में ग्रेनेड हमले से उड़ा दिया ।
* 6 अगस्त 2002को पहलगांव के पास ननवाव में जिहादियों द्वारा भारी सुरक्षा व्यवस्था में चल रहे आधार शिविर मे अमरनाथ यात्रियों पर हमला कर 9 हिन्दुओं को कत्ल किया गया व 33 को घायल कर दिया ।
* 29 अगस्त2002 को डोडा और रजौरी में 10 हिन्दुओं का कत्ल किया गया।
* 24 नवम्बर 2002को जम्मू में ऐतिहासिक रघुनाथ मन्दिर पर हमला कर 14 हिन्दुओं का कत्ल किया गया व 53 हिन्दू इस हमले मे घायल हुए
* 19 दिसम्बर 2002को जिहादियों ने रजौरी के थानामण्डी क्षेत्र मे तीन लड़कियों को बुरका नहीं पहनने की वजह से गोली मार दी ।बुरका पहनाने पर ये जेहादी इसलिए भी ज्यादा जोर देते हैं क्योंकि बुरके को ये आतंकवादी सुरक्षावलों को चकमा देकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए उपयोग करते हैं।

* 24 मार्च 2003को सोपियां के पास नदीमार्ग गांव में जिहादियों द्वार 24 हिन्दुओं का कत्ल कर दिया गया ।
* 7 जुलाई2003 को नौसेरा में 5 हिन्दुओं का कत्ल किया गया ।

* 5 अप्रैल2004 को अन्नतनाग जिले के पहलाम में 7 हिन्दुओं का कत्ल कर दिया गया ।
* 12 जून2004 को पहलगाम में ही 5 हिन्दूयात्रियों का कत्ल इन जिहादियों द्वारा किया गया ।

* 30 अप्रैल2006 को डोडा के पंजदोबी गाँव में जिहादियों द्वारा 19 हिन्दुओं का कत्ल
*  1मई 2006को उधमपुर के बसन्तपुर क्षेत्र में जिहादियों द्वारा 13 हिन्दुओं का कत्ल ।
* 23 मई2006 को श्रीनगर में ग्रेनेड हमले में 7 हिन्दू यात्रियों का कत्ल
* 25 मई2006 को श्रीनगर में ही 3 हिन्दू यात्रियों का ग्रेनेड हमला कर कत्ल किया गया
* 31 मई 2006को ही ग्रेनेड हमला कर 21 हिन्दू घायल किय गए
* 12 जून 2006को फिर ग्रेनेड फैंक कर 1 यात्री का कत्ल किया गया व 31 घायल किये गए ।
* 12 जून 2006को ही जिहादियों द्वारा अन्नतनाग में 8 हिन्दू मजदूरों का कत्ल किया गया व 5 घायल किये गए ।
* 21 जून2006 को गंदरबल श्रीनगर में जिहादियों ने ग्रेनेड हमला कर 5 अमरनाथ यात्रियों को घायल किया ।
* 11 जुलाई2006 को श्रीनगर में ही अमरनाथ तीर्थ यात्रियों को निशाना बनाकर किये गए श्रृंखलाबद्ध ग्रेनेड हमलें में 8 लोग मारे गए व 41 घायल हुए ।
* 12 जुलाई2006 को 7 हिन्दू तीर्थ यात्री श्रीनहर ग्रेनेड हमलों में घायल किये गए । 2006 से 2016 तक भी कश्मीर मे जगह जगह हिन्दुओं पर लगातार अत्याचार जारी है जिनकी न तो रिपोर्टिंग होती है ना ही मीडिया मे खबर बनती है क्योंकि कश्मीर मे हिंदुओं के लिए मानविधिकार सोया हुआ है। इसका एक कारण हिंदुओं का सेक्युलर बनना है उनको सपोर्ट करना है, धर्मपरायण के साथ एकजुटता स्वीकार करना नही।

भारत चीन युद्ध मे बामपंथियों ने दिया था चीन का साथ।

वर्ष 1962 मे चीन ने भारत पर रातों रात हमला कर दिया था, इस युद्ध में भारत के हज़ारो जवानो देशरक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे और उनके बच्चे अनाथ और बेसहारा।आपको जान कर हैरानी होगी की वाउस युद्ध मे आज सेक्युलर पार्टी और कांग्रेस के साथ मिलजुलकर सरकार बनाते रहने वाला वामपंथी दल के राजनेताओं ने अपने ही देश भारत के साथ गद्दारी करके चुपचाप  चीन का साथ दिया था।वामपंथियों के गढ़ केरल में कई वामपंथी नेताओं को 1962 के युद्ध के बाद गिरफ्तार किया गया था ।दरअसल चीन एक वामपंथी देश है और भारत के वामपंथी चीन को अपना गुरु मानते है, 1962 युद्ध के समय देश में वामपंथी नेता चीन के पक्ष में बयानबाजी करते थे भारत की बुराई करते थे। उनकी यह मानसिकता आज भी नही बदली है इसी कारन कांग्रेस की मानसिकता से मेल खाती है। नक्सली जो भारत में आतंक मचाते है वो सब भी वामपंथी ही हैं और चीन से पैसा और हथियार पाते है, इतिहास गवाह है कि किसी भी युद्ध की परिस्तिथि में माओवादी/वामपंथी भारत के खिलाफ ही जंग छेड़ देते है। हमने राजनेताओं को चुनते समय पहले उनकी राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना को अच्छी तरह सूझ बूझ कर जाँच लेना चाहिये। कँही ऐसा न हो क़ि हम अपने ही मताधिकार से अपने ही पैरों मे कुल्हाड़ी मार रहे हों। राष्ट्रहित सर्वोपरी है।
जिस तरह भारत के वामपंथी सेना को बलात्कारी, कश्मीर की आज़ादी, हिन्दुओ से नफरत के कार्यक्रम चलाते रहते है भविष्य में ये वामपंथी देश के लिए बड़ा ख़तरा जरूर सिद्ध होंगे, इन लोगों का काला इतिहास भी ये बात बताता है।

27 अप्रैल 2016

हर घपले और घोटाले का कनेक्शन इटली क्यों ? मुख़्तार अब्बास नक़वी

अगस्ता वेस्टलैंड सौदे को लेकर इटली की कोर्ट के निर्णय मे कांग्रेसी नेताओं के नाम आने पर उठे विवाद के बीच कांग्रेस नेतृत्व पर परोक्ष निशाना साधते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज विपक्षी दल से सवाल किया कि बोफोर्स से अगस्ता तक हर रिश्वत और घोटाले की उड़ान का पसंदीदा पड़ाव इटली क्यों है? नकवी ने तंज कसते हुए कहा कि इस मामले में घूस लेने वालों के लिए सफाई में कहने को कुछ नहीं बचा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ कांग्रेस बताए कि बोफोर्स से अगस्ता तक हर रिश्वत और घोटाले के उड़ान का पसंदीदा पड़ाव इटली क्यों है? ’’ उन्होंने कहा कि उन लोगों की जवाबदेही तय होनी चाहिए जिन्होंने दोनों हाथों से खुलेआम लूट करने और लूटलाबी को छूट दी। नकवी ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार आने के बाद लूटलॉबी की तालाबंदी हो गई है और सत्ता के दलालों की नाकेबंदी हो गई है, इसलिए लूटलॉबी के संरक्षक गरीबों के विकास को रोकने के लिए संसद को बंधक बनाने का काम कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने लोकसभा में अगस्तावेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदे पर संसद में चर्चा कराने की आज मांग की और कहा कि उसके नेतृत्व के खिलाफ इस बारे में लगाए जा रहे आरोप आधारहीन हैं। राज्यसभा में मनोनीत सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष का नाम लिए जाने पर सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस सदस्यों के बीच तीखी तकरार हुई और सदन की बैठक कई बार स्थगित करनी पड़ी। भाजपा अगस्तावेस्टलैंड मुद्दे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साध रही है। 

भारत मे रह रहे मुस्लिम बाबर के वंसज नही है इसलिए राम मंदिर बनाने मे सहयोग करें। मोहम्मद अफजाल

भारतीय मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि मुस्लिम समुदाय को अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए हिंदू समाज का समर्थन करना चाहिए। अफजाल ने कहा कि असली असहिष्णुता तो ये है कि बहुसंख्यक हिंदुओं के आराध्य रामलला अयोध्या में तिरपाल में हैं। उन्होंने कहा कि भारत का मुस्लिम समाज कोई बाहर से नहीं आया है और न ही हमारे पूर्वज अरब या बाबर के वंसज हैं।भारत मे रह रहे मुसलमानों के पूर्वज भगवान राम के ही हो सकते हैं। अफजाल ने यहां तक कहा कि अयोध्या में करीब 20 और मस्जिदें हैं जहां नमाज पढ़ी जाती है वहां कई मजार भी हैं, लेकिन हिंदू समाज ने कभी  मस्जिद या मजार पर तो दावा नहीं किया । हिन्दू केवल बस एक ही जगह दावा कर रहे हैं जो कि श्री राम की जन्म भूमि है यह स्थान हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है । इसलिए सामूहिक सहमति से राम मंदिर बनने देना चाहिए।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संयोजक ने कहा कि मजहब-ए-इस्लाम के अंदर अगर मस्जिद बनाना चाहते हैं तो जमीन की मलकियत मुस्लिम समाज में किसी की या वक्फ की होनी चाहिए। लेकिन अयोध्या की उस जगह की मलकियत न तो मुस्लिम समाज के पास है और न वक्फ बोर्ड के पास है। ऐसे में मुस्लिम समाज का अधिकार उस जमीन पर नहीं है, जहां गर्भगृह है। अफजाल ने कहा कि हम नहीं चाहते कि राम के नाम पर इंसानियत का खून बहे, इसलिए इसका फैसला जितनी जल्दी हो उतना अच्छा है।
मोहम्मद अफजाल ने एक समाचार पत्र से बातचीत के दौरान कहा कि हम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही इस मसले का समाधान चाहते हैं। इसलिए मंच अब बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी से भी बातचीत की पहल कर रहा है। हम चाहते हैं कि हम हिंदू समाज के साथ मिलकर आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि आज भी अयोध्या में रामलला की पूजा हो ही रही है तो इस मसले को और ज्यादा क्यों खींचना चाहिए? हम फसाद नहीं चाहते और मुस्लिम समाज को तरक्की की दरकार है। इसके लिए विवाद न करते हुए मुस्लिम समाज को अयोध्या में राम मंदिर बनाने में सहयोग करना चाहिए।

आखिर ऐसा क्या धारण करते है कि हो जाती है भाई बहिन की आपस मे सादी।

आप यकीन  करें या न करैं पर ये सत्य है कि अपनी बहन से सादी की जा सकती है । पाकिस्तान मे भाई बहिन आपस मे शादी करके बच्चे  पैदा करने में  अव्वल हैं और अन्य देशों के मुकाबले मे  नंबर 1 पर है और पाकिस्तान में 70% शादियां भाई बहनो के बीच ही हो जाती है। ये बहने चाचा, मामा, फूफा इत्यादि की बेटियां होती है। भाई बहनो से शादी के कारण पाकिस्तान में जो नए बच्चे पैदा हो रहे है वो अजीब गरीब बिमारियों के भी शिकार हैं।जो पाकिस्तानी ब्रिटेन में रहते है उनमें से भी 55% की शादियां आपस मे भाई बहन में ही हो जाती हैं। जानें कुछ और मुस्लिम देशों का हाल जहां ये सब चलता है   इस्लाम के जनक सऊदी अरब  जहाँ 50% जोड़े आपस में भाई बहन भी हैं। ईरान/अफगानिस्तान जहाँ 30-40% जोड़े, भाई बहन हैं।  इराक जहाँ ये आंकड़ा 33% है, क़तर में 54%, टर्की/लेबनान मे यह आंकड़ा 20-30% है। अफ़्रीकी देशो में जो मुस्लिम है वहां 50% जोड़े भाई बहन है। यहाँ तक की भारत के मुस्लिम बाहुल्य हिस्से कश्मीर में भी 40% जोड़े आपस में भाई बहन  है।

26 अप्रैल 2016

ये पत्थर सतरंज की गोटें है भीम और घटोत्कच खेलते थे इनसे।

यदि आपने महाभारत की कथा पढ़ी हो या सुनी हो तो आपको मालूम होगा कि उसमें भीम और घटोत्कच का वर्णन है ।माना  जाता है कि भीम में 10 हजार हाथियों  के बराबर ताकत थी और  उनके पुत्र घटोत्कच में उनसे भी अधिक बल था। अब आप खुद ही सोच सकते हैं कि इतने बलवान लोगों का शरीर कितना विशाल होता होगा और उनके खिलौने भी बहुत बड़े होते होंगे। जी हाँ, यह सही है क्योंकि भारत में एक जगह है जहां पर शतरंज की मोहरें यानि की गोटियां रखी हुई हैं जो बहुत विशाल हैं और उनका वजन भी बहुत हैं। सतरंज का इतिहास कम से कम 1500 वर्ष पुराना है। उस समय इसका नाम चतुरंग था। यह छटी सताब्दी  मे भारत मे जन्मा और फिर फारस (ईरान ) पंहुचा। जब अरबों ने फारस को जीता तब यह यूरोप पंहुचा।
यह जगह है भारत के पूर्वोत्तर में स्थित  नागालैंड  राज्य का एक शहर दीमापुर जिसको कभी हिडिंबापुर के नाम से जाना जाता था। इस जगह महाभारत काल में हिडिंब राक्षस और उसकी बहन हिडिंबा रहा करते थे।  यही पर हिडिंबा ने भीम से विवाह किया था। आज भी यहां बहुलता में रहनेवाली डिमाशा जनजाति खुद को भीम की पत्नी हिडिंबा का वंशज मानती है। यहाँ आज भी हिडिंबा का वाड़ा है, जहां राजवाड़ी में स्थित शतरंज की ऊंची-ऊंची गोटियां पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है। इनमे से कुछ अब टूट चुकी है। यहाँ के निवासियों कि मान्यता है  कि इन गोटियों से भीम और उनके पुत्र घटोत्कच शतरंज खेलते थे। इस जगह पांडवो ने अपने वनवास का काफी समय व्यतीत किया था। महाभारत की कथा के अनुसार वनवास काल में जब  कौरवो द्वारा सडयंत्र करके पांडवों का घर जला दिया गया तो पांडव वहां से  एक दूसरे वन में चले  गए। जहां हिडिंब राक्षस अपनी बहन हिडिंबा के साथ रहता था। एक दिन हिडिंब ने अपनी बहन हिडिंबा को वन में भोजन की तलाश करने के लिये भेजा। वन में हिडिम्बा को भीम दिखा जो की अपने सोए हुए परिवार की रक्षा के लिए पहरा दे रहा था। राक्षसी हिडिंबा को भीम पसंद आ जाता है और वो उससे प्रेम करने लग गयी,  इस कारण वो सारे पांडवो को जीवित छोड़ कर वापस आ गयी। यह बात उसके भाई हिडिंब को पसंद नहीं आयी और वो पाण्डवों को मारने चल पड़ा ।लड़ाई में हिडिंब, भीम के हाथो मारा गया।
हिडिम्ब के मरने पर वे लोग वहां से प्रस्थान की तैयारी करने लगे, इस पर हिडिम्बा पांडवों की माता कुन्ती के चरणों में गिर कर प्रार्थना करने लगी, “हे माता! मैंने आपके पुत्र भीम को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया है। आप लोग मुझे कृपा करके स्वीकार कर लीजिये। यदि आप लोगों ने मझे स्वीकार नहीं किया तो मैं इसी क्षण अपने प्राणों का त्याग कर दूंगी।” हिडिम्बा के हृदय में भीम के प्रति प्रबल प्रेम की भावना देख कर युधिष्ठिर बोले, “हिडिम्बे! मैं तुम्हें अपने भाई को सौंपता हूँ किन्तु यह केवल दिन में तुम्हारे साथ रहा करेगा और रात्रि को हम लोगों के साथ रहा करेगा।”
हिडिंबा इसके लिये तैयार हो गई और भीमसेन के साथ आनन्दपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगी। एक वर्ष व्यतीत होने पर हिडिम्बा का पुत्र उत्पन्न हुआ। उत्पन्न होते समय उसके सिर पर केश (उत्कच) न होने के कारण उसका नाम घटोत्कच रखा गया। वह अत्यन्त मायावी निकला और जन्म लेते ही बड़ा हो गया।
हिडिम्बा ने अपने पुत्र को पाण्डवों के पास ले जा कर कहा, “यह आपके भाई की सन्तान है अत: यह आप लोगों की सेवा में रहेगा।” इतना कह कर हिडिम्बा वहां से चली गई। घटोत्कच श्रद्धा से पाण्डवों तथा माता कुन्ती के चरणों में प्रणाम कर के बोला, “अब मुझे मेरे योग्य सेवा बतायें।? उसकी बात सुन कर कुन्ती बोली, “तू मेरे वंश का सबसे बड़ा पौत्र है।
समय आने पर तुम्हारी सेवा अवश्य ली जायेगी।” इस पर घटोत्कच ने कहा, “आप लोग जब भी मुझे स्मरण करेंगे, मैं आप लोगों की सेवा में उपस्थित हो जाउँगा।” इतना कह कर घटोत्कच वर्तमान उत्तराखंड की ओर चला गया। इसी घटोत्कच ने महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से लड़ते हुए वीरगति पायी थी।

25 अप्रैल 2016

अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा, मिथ्या नही थे राम, रावण और हनुमान।

रामायण और महाभारत की कथाओँ को मिथ कहने वाले लोगों को अब यह सत्य स्वीकार करना होगा कि राम, रावण और हनुमान हिन्दू सनातन धर्म के काल्पनिक पात्र नही है। ये महापुरुष वास्तव मे हैं क्योंकि अमेरिकी वैज्ञानिकों ने उस स्थान को खोज निकाला  है जिसका उल्लेख रामायण में पाताल लोक के रूप में है। कहा जाता है कि हनुमानजी ने यहीं से रावण के अनुज अहिरावण से भगवान राम व् लक्षमण को मुक्त कराया था।
 अमेरिकी वैज्ञानिको को यह  स्थान मध्य अमेरिकी महाद्वीप में पूर्वोत्तर होंडुरास के जंगलों के नीचे मिला है, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने लाइडर तकनीकी से इस स्थान का 3-डी नक्शा तैयार किया है, जिसमें जमीन की गहराइयों में गदा जैसा हथियार लिये वानर देवता की मूर्ति होने की पुष्टि हुई है।
स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज के निदेशक और वैदिक विज्ञान केन्द्र के प्रभारी प्रो. भरत राज सिंह ने बताया है कि पहले विश्व युद्ध के बाद एक अमेरिकी पायलट ने होंडुरासु के जंगलों में कुछ अवशेष देखे थे। अमेरिकी पत्रिका 'डेली टाइम्स गज़ट' के मुताबिक इस शहर  के जंगल मे दफन होने की पहली जानकारी अमेरिकी खोजकर्ता थिंयोडोर मोर्ड ने 1940 में पहले ही दे दी थी पर उस वक़्त उसे खोजा नही जा सका था। इसके अलावा  एक अन्य अमेरिकी पत्रिका में  उस प्राचीन शहर में वानर देवता की पूजा होने की बात भी लिखी थी, लेकिन उसने जगह का खुलासा नहीं किया था। बाद में रहस्यमय तरीके से थियोडोर की मौत हो गई और जगह का रहस्य बरकरार रहा।
करीब 70 साल बाद अमेरिका की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी व नेशनल सेंटर फार एयरबोर्न लेजर मैपिंग के वैज्ञानिकों ने होंडुरास के घने जंगलों में मस्कीटिया नामक स्थान पर लाइडर नामक तकनीक से जमीन के नीचे 3-डी मैपिंग की, जिसमें प्राचीन शहर का पता चला। इसमें जंगल के ऊपर से विमान से अरबों लेजर तरंगें जमीन पर फेंकी गईं। इससे 3-डी डिजिटल नक्शा तैयार हो गया। 3-डी नक्शे में जमीन के नीचे गहराइयों में मानव निर्मित कई वस्तुएं दिखाई दीं। इसमें हाथ में गदा जैसा हथियार लिए घुटनों के बल बैठी हुई है वानर मूर्ति भी दिखी है।
होंडुरास के जंगल की खुदाई पर प्रतिबंध के कारण इस स्थान की वास्तविक स्थिति का पता लगा पाना मुश्किल था । परंतु पुख्ता सुचना के आधार पर होंडुरासु सरकार ने इसकी खोज करने के आदेश जारी किये ।अमेरिकी इतिहासकार भी मानते हैं कि पूर्वोत्तर होंडुरास के घने जंगलों के बीच मस्कीटिया नाम के इलाके में हजारों साल पहले एक गुप्त शहर सियूदाद ब्लांका का वजूद था। वहां के लोग एक विशालकाय वानर मूर्ति की पूजा करते थे। प्रो. भरत राज सिंह ने बताया कि बंगाली रामायण में पाताल लोक की दूरी 1000 योजन बताई गई है, जो लगभग 12,800 किलोमीटर है।
यह दूरी सुरंग के माध्यम से नापें तो  भारत व श्रीलंका की दूरी के बराबर है। रामायण में वर्णन है कि अहिरावण के चंगुल से भगवान राम व लक्ष्मण को छुड़ाने के लिए बजरंगबली हनुमान को पातालपुरी के रक्षक मकरध्वज को परास्त करना पड़ा था। मकरध्वज बजरंगबली के ही पुत्र थे, लिहाजा उनका स्वरूप बजरगंबली जैसा ही था। अहिरावण के वध के बाद भगवान राम ने मकरध्वज को ही पातालपुरी का राजा बना दिया था। जमीन के नीचे वानर मूर्ति मिलने के बाद अनुमान लगाया जा सकता है कि बाद में वहां के लोग मकरध्वज की ही मूर्ति की पूजा करने लगे। जय सनातन वैदिक धर्म।

शरियत अल्लाह का नही मुल्ला का बनाया कानून।


सरियत में बैठे ज़्यादातर लोग न तो जज बनने की शैक्षिक योग्यता रखते हैं और न ही उनके पास क़ानूनी समझ है ।इन अदालतों में लोगों का रसूख़ देखकर मनमाने फैसले कराए जाते हैं।यह परंपरा ख़त्म होनी चाहिए.।मुसलमानों को भी यह बात समझनी चाहिए कि जब हम क्रिमिनल मामलों और बाक़ी तमाम मामलों में देश की अदालतों के फैसले मानते हैं तो फिर शादी, तलाक़ और विरासत से जुड़े निजी मामलों में अदालत के फैसले मानने पर आपत्ति क्यों हो…? तलाक के तीन मामलों में सुप्रीम कोर्ट और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बीच की खींचतान के बीच कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने ट्‌वीट करके ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड से सवाल पूछा है कि क्या मुस्लिम पर्सनल लॉ या शरियत संविधान से ऊपर है ? लेकिन बोर्ड तो पहले ही कई बार कह चुका है कि सुप्रीम कोर्ट को शरियत की समीक्षा का अधिकार नहीं है. क्योंकि ये क़ुरान की रोशनी में बना अल्लाह का क़ानून है।जमीयत उलेमा-ए-हिंद इस मालमे में सुप्रीम कोर्ट में बकायदा हलफ़नामा दायर करके तलाक़ के तीन मामलों में पार्टी बन गया है ।उसका भी यही कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ क़ुरान पर आधारित अल्लाह का क़ानून है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद 1986 के बहुचर्चित शाह बानो केस में भी पार्टी बना था. नतीजा सबके सामने है. दरअसल बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद झूठ बोल रहे हैं. सच्चाई तो यह है कि भारत में लागू शरियत अल्लाह का नहीं बल्कि मुल्ला का बनाया हुआ क़ानून है। इसके कई प्रावधान क़ुरान की आयतों के उलट और इसकी मूल भावना के ख़िलाफ़ है। कई प्रावधान महिलाओं और यतीमों को उनके अधिकारों से वंचित करते है ।यह क़ानून सूरः निसा की आयत नंबर 35 में वर्णित तलाक़ की पूर्व शर्त आर्बिट्रेशन के ज़रिए आपसी सहमति बनाने की कोशिश किए बग़ैर ही तलाक को मान्यता दे देता है. क़ुरान की सात सूरतों में तलाक़ से संबधित कुल 44 आयते हैं, इनमें तलाक़ का तरीक़ा एकदम साफ़-साफ़ बताया गया है. इसके मुताबिक़ अगर पति-पत्नी के बीच संबंध ठीक नहीं हैं और तलाक़ की नौबत आती है तो पहले दोनों की तरफ़ से एक-एक वकील तय होगा और फिर दोनों मिलकर पति-पत्नी के बीच सुलह कराने की कोशिश करेंगे।सुलह की कोई सूरत न होने पर पति पत्नी को तलाक़ देगा।तलाक़ माहवारी ख़त्म होने पर पाकी की हालत में दी जाएगी और तलाक़ के बाद पति-पत्नी का अलग-अलग बिस्तर होगा।इस तलाक़ की इद्दत तीन महीने दस दिन या तीन माहवारी तक होगी. इस बीच अगर दोनों में सुलह हो जाए तो तलाक़ ख़त्म हो जाएगा. अगर सुलह नहीं होती है तो दो विकल्प हैं. पहला, या तो पति पत्नी को रोक ले यानी उससे निकाह कर ले या फिर दूसरा, उसे तलाक़ देकर विदा कर दे. इस पर भी इद्दत की अवधि में सुलह करने और इद्धत के बाद दोनों को आपस में निकाह करने का अधिकार है. (सूरः बक़र आयत न. 228 और 232) लेकिन तीसरी बार तलाक़ देने के बाद निकाह की गुंजाइश ख़त्म हो जाएगी. ऐसी सूरत में दोनों तभी निकाह कर सकते हैं जब औरत पहले किसी और से निकाह कर ले और उसका शौहर मर जाए या फिर उसे तलाक़ दे दे. (सूरः बक़र आयत न. 230) यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि उसके  दूसरे शौहर को भी उसे दो बार तलाक़ देकर फिर से निकाह करने का अधिकार है. लिहाज़ा दोनों के बीच शादी का रास्ता एक हद तक बंद होता है. इसीलिए क़ुरान साफ़ कहता है तलाक़ दो बार है. (सूरः बक़र आयत न. 229) मगर अफ़सोस की बात यह है कि हमारे समाज ने इसी आयत का सहारा लेकर हलाला जैसी बिदअत(कुरीति) को आम बना दिया. वास्तव में हलाला तलाक पाई बेबस औरत पर किया गया सबसे घटिया दर्जे का अपराध है. हलाला मुस्लिम समाज में एक लानत बन चुका हैै, मगर तमाम मुल्ला बेशर्मी के साथ इसकी न सिर्फ़ वकालत करते हैं बल्कि कई बार ख़ुद को ही एक रात का दूल्हा बनाकर पेश कर देते हैं. ये क़ुरान के साथ मज़ाक़ ही नहीं बल्कि खुल्लम-खुल्ला खिलवाड़ है. भारतीय शरियत क़ानून यतीम पोते को दादा की विरासत में हिस्सा नहीं देता. यह क़ानून कहता है कि अगर बाप की मौजूदगी में बेटा मर जाए तो उसका हिस्सा पोते-पोती को नहीं मिलेगा. ऐसी स्थिति में पोते-पोती (यतीम बच्चे) महज़ूब हो जाएंगे. महज़ूब होने का मतलब महरूम यानि वंचित होने से ही है. जबकि अल्लाह ने यतीमों का हक़ मारने वालों की जगह जहन्नुम बताई है. (सूरः निसा आयत न.8-10) अल्लाह की इतनी सख्त हिदायत के बावजूद मुल्लाओं ने यतीमों का  हक़ मारने का रास्ता भी निकाल लिया है. देश में इस क़ानून की शिकार लाखों मुस्लिम औरतें अपने यतीम बच्चों के हक़ के लिए दर-दर की ठोकरें खाती घूम रही हैं. लेकिन दिन में सैकड़ों बार बिस्मिल्ला हिर्हमान हिर्रहीम पढ़कर अल्लाह के कृपालु और दयालु होने की गवाही देने वाले मुल्लाओं को न तलाक़ की मारी बेबस औरतों पर दया आती है और न ही बेवा होने पर यतीम बच्चों के साथ सुसराल से निकाल दी गई औरतों पर. यतीम बच्चों की हक़ तल्फ़ी पर भी इनका दिल नहीं पसीजता. ऊपर से तुर्रा यह है कि मुल्लाओं ने धनवान मुसलमानों को भी यह समझा दिया है कि जिसके पास 7.5 तोला सोना या 52 तोला चांदी या फिर इतनी ही क़ीमत की ज़मीन या घर है उसे ज़कात देना भी जायज़ नहीं है. धनवान मुसलमानों से ज़कात का ज़्यादातर पैसा मुल्ला मदरसों रहने वाले यतीम बच्चों के लिए वसूल लेते हैं लेकिन वह पैसा उन तक पहुंचता ही नहीं है. उन बेचारों को तो दो वक़्त की रोटी मिल जाए तो ग़नीमत है. उन बच्चों का संरक्षक बनकर मुल्ला ख़ुद ही सारा पैसा हड़प लेते हैं. ज़कात के पैसों से ही वे अपनी निजी मिल्कियत की तरह मदरसे की आलीशान इमारत और अपना निजी महल खड़ा करते हैं. परिवार का पेट भी उसी ज़कात के पैसे से पालते हैं. और यह सब होता है अल्लाह के हुक्म यानी क़ुरान की आयतों के ख़िलाफ़ (सूरः निसा आयत न. 1-2 और 6). इसमें सबसे शर्मनाक बात तो यह है पढ़े लिखे मुसलमानों ने भी मुल्लागर्दी की आधीनता स्वीकर कर रखी है. ऐसे सामाजिक मुद्दों पर समाज के भीतर से कभी कोई मज़बूत आवाज़ नहीं उठती. कभी कभार कोई कोशिश करता भी है तो उसके ख़िलाफ़ कुफ्र के फ़तवे की तलवार म्यान से बाहर आ जाती है. इस पर तथाकथित मुस्लिम बुद्धिजीवी भी गर्दन झुकाकर और आंखे नीची करके मुल्लाओं की हां में हां मिलाते नज़र आते हैं. तथाकथित सेकुलर राजनीतिक दलों को मुसलमानों का वोट चाहिए, लिहाज़ा वो क्यों बर्र के छत्ते में पत्थर मारेंगे. कभी कभार संघ परिवार, बीजेपी, या फिर सुप्रीम कोर्ट बोलता है तो इसे शरियत और क़ौम के निजी मामलों में दख़ल बताया जाता है. इसके बाद इस्लाम ख़तरे में होने का हौव्वा ख़ड़ा करके मुसलमानों के भावनात्मक शोषण का खेल शुरू होता है. ग़ौरतलब है कि भारत में मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ अनुप्रयोग अधिनियम-1937 से शासित होते हैं इसके तहत शादी, मेहर, तलाक़, रख-रखाव, उपहार, वक़्फ़ और विरासत के मामलों में उनके परंपरागत निजी क़ानूनों को मान्यता मिली हुई है. लेकिन ये क़ानून स्पष्ट और संहिताबद्ध नहीं हैं. अदालतों में सारी बहस क़ुरान की आयतों, परस्पर विरोधी हदीसों के हवालों और सदियों पुराने फतवों केआधार पर होती है. जजों को भी फ़ैसला करने में परेशानी होती है. इसलिए कभी-कभी ऐसे फैसले भी आ जाते हैं जिन्हें इस्लाम विरोधी कहकर बवाल मचाया जाता है. 1986 में आए शाह बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर मचे बवाल ने तात्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार को संसद में बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने के लिए मजबूर कर दिया था. उस वक्त राजीव गांधी की कैबिनेट में मंत्री रहे आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने सरकार के इस क़दम का पुरज़ोर विरोध किया था. लेकिन उनकी आवाज़ दबा दी गई. तब संघ परिवार ने कांग्रेस पर मुल्लाओं के दबाव में काम करने का आरोप लगाया था. इससे हिंदू समाज में उपजी नाराज़गी को शांत करने के लिए बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाया गया. उसके बाद क्या हुआ, किसे नहीं पता…? एक ग़लत फैसले का ख़ामियाज़ा देश आज तक भुगत रहा है. लेकिन आज पी. चिदंबरम और दिग्विजय सिंह जैसे कई दिग्गज कांग्रेसी नेता क़ुबूल कर चुके हैं कि शाह बानो मामले में तात्कालीन सरकार का फैसला ग़लत था. हैरानी की एक और बात यह है कि देश में मुसलमानों के लिए शादी का कोई क़ानून नहीं है. लेकिन शादी तोड़ने के लिए मुस्लिम विवाह विच्छेदन अधिनियम-1939 मौजूद है. यह क़ानून मुस्लिम महिलाओं को अपने पति से तलाक़ लेने का अधिकार देता है. इसके तहत महिलाओं को तलाक़ लेने के  9 आधार दिए गए हैं. यहां यह सवाल पैदा होता है कि अगर गुजारा भत्ते से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को बदलने के लिए देश की संसद क़ानून बना सकती, तलाक़ के लिए क़ानून बन सकता है तो फिर शादी, विरासत, वक़्फ़ और बाक़ी मामलों के लिए संसद में क़ानून क्यों नहीं बन सकता…? जवाब थोड़ा तीखा है. इसलिए नहीं बन सकता क्योंकि इससे भोले भाले मुसलमानों पर चल रही मुल्लाओं की हुकूमत पूरी तरह ख़त्म हो जाएगी. सारे मामले अगर अदालतों में तय होने लगेंगे तो फिर मुल्लाओं को कौन पूछेगा. उनकी भूमिका तो सिर्फ मस्जिद में नमाज़ और मदरसों में बच्चों को पढ़ाने तक ही सीमित होकर रह जाएगी. दरअसल, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुस्लिम पर्सनल लॉ की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट की पहल का विरोध करने वाले अन्य मुस्लिम संगठनों की असली चिंता इस्लाम और मुसलमानों को बचाने की नहीं बल्कि अपनी दुकानों को बचाने की है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लंबे अरसे से हर ज़िले में एक शरिया अदालत गठित करने, इन्हें क़ानूनी मान्यता देने और इन अदालतों में फैसले करने वाले मुफ्तियों और आलिमों को जज का दर्ज़ा देने की मांग कर रहा है. लेकिन बोर्ड की शरिया अदालतों में बैठे ज़्यादातर लोग न तो जज बनने की शैक्षिक योग्यता रखते हैं और न ही उनके पास क़ानूनी समझ है. इन अदालतों में लोगों का रसूख़ देखकर मनमाने फैसले कराए जाते हैं. यह परंपरा ख़त्म होनी चाहिए. मुसलमानों को भी यह बात समझनी चाहिए कि जब हम क्रिमिनल मामलों और बाक़ी तमाम मामलों में देश की अदालतों के फैसले मानते हैं तो फिर शादी, तलाक़ और विरासत से जुड़े निजी मामलों में अदालत के फैसले मानने पर आपत्ति क्यों हो…? जम्मू-कश्मीर में 2007 में ही वहां की विधानसभा ने मुस्लिम समुदाय से जुड़े दीवानी मामलों को सुलझाने के लिए एक विधेयक पास करके क़ानून बना दिया. यह क़ानून राज्य के सभी फिरक़ों और सोच वाले मुसलमानों पर समान रूप से लागू होता है. अगर यह काम जम्मू-कश्मीर की विधानसभा कर सकती है तो देश की संसद ऐसा क्यों नहीं कर सकती. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को अड़ियल रवैया छोड़कर देश-दुनिया के क़ानूनी जानकार और क़ुरान व हदीसों के जानकारों की कमेटी बनाकर शादी, तलाक़, मेहर, गुज़ारा भत्ता, विरासत, गोद लेना और वक़्फ़ जैसे मसलों पर पुख्ता क़ानून का मसौदा तैयार करके संसद को सौंप देना चाहिए. इसके बाद संसद से पास होने वाला क़ानून सभी फिरक़ों के मुसलमानों पर समान रूप से लागू होगा. एक इस्लाम और एक क़ुरान पर यक़ीन रखने वाले मुसलमान आख़िर सबके लिए एक क़ानून पर राज़ी क्यों नहीं होंगे…? अगर इस्लाम औरतों, मज़लूमों और यतीमों को उनका हक़ देने की बात करता है तो शरियत में इसकी झलक भी दिखनी चाहिए।

24 अप्रैल 2016

कन्हैया की पिटाई के पीछे राजनैतिक सडयंत्र। पिटाई हुई ही नहीं। सूत्र

देश विरोधी नारे लगाने के आरोपी जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया फिर से चर्चा में है। दरअसल कन्हैया ने आरोप लगाया था कि  जब वो मुंबई से पुणे जा रहे थे तब मुम्बई एअरपोर्ट पर उनपे हमला हुआ था और किसी नें उनका गला दबाने की कोशिश की थी। इस को लेकर कन्हैया ने ट्वीट भी किया था और उस हमलावर शख्स का नाम भी बताया था साथ हे यह भी कह दिया था कि हमलावर को बीजेपी का समर्थन प्राप्त था।पुलिस जाँच मे इस बात का खुलाशा हो चूका है। दरअसल इसके पीछे कांग्रेस की एक सोची समझी चाल बताई जा रही है ताकि भाजपा को दोषी ठहराया जा सके कि वह एक लोकतंत्र विरोधी पार्टी है।

मोदी आज़ादी के बाद देश के सर्वश्रेष्ठ नेता। हाशिम अंसारी


आजादी के बाद मोदी देश के बेस्ट लीडर : हाशिम अंसारी
अयोध्या मे बाबरी मस्जिद के मुख्य मुद्दई व पक्षकार हाशिम अंसारी ने कहा है कि आजादी के बाद भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा देशभक्त और भारत मे रहने वाले विभिन्न समुदायों के लोगों के लिए समर्पित सोच रखने वाला दूसरा राजनेता और कोई नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के अब तक के सर्वश्रेष्ठ नेता हैं। मोदी के कुशल नेतृत्व पर प्रत्येक भारतवासी को गर्व होना चाहिए। आज हमारा भारत विश्व भर में अपनी विशिष्ट पहचान बना रहा है। उन्‍होंने प्रधानमंत्री  मोदी को अयोध्या आने का न्योता दिया और कहा कि उनका हम फूलों से भव्य स्वागत करेंगे।
शनिवार को अयोध्या स्थित अपने आवास पर एक बातचीत में हासिम अंसारी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खूब तारीफ की। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद मोदी जैसा लीडर हिन्दुस्तान में कोई दूसरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मेरे साथ बैठने वाले बहुत से ऐसे मुसलमान हैं जो मोदी की तारीफ करते हैं। मैं खुद मोदी के काम की तारीफ करता हूं। दिल से उनके साथ हूं। अयोध्या समेत पूरे मुल्क में बड़ी संख्या में मुसलमान हैं जो मोदी के साथ हैं। हाशिम ने यूपी के आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मुसलमानों से मोदी को समर्थन देने की अपील भी की।
उन्होंने कहा कि यह कहने मे मुझे गर्व महसूस होता है कि मोदी ही भारत मे रह रहे मुसलमानों की तकदीर बदलने का दम रखते है।हासिम  ने देश के मुसलमानों से कहा कि वो मीडिया और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों की ओर से मोदी के प्रति पिछले कई वर्षों में सुनियोजित तरीके से पैदा किए गए खौफ से अब खुद को आजाद कर दें। मोदी का दिल खोलकर साथ दें और एक लीडर के रूप में उनके हाथों को और मजबूती प्रदान करें। हासिम ने कहा  कि वास्तव में देश के मुसलमानों की तकदीर बदलने का किसी में दम है तो वह मोदी में है। कांग्रेस समेत बाकी राजनीतिक दल तो सिर्फ मोदी और भाजपा का झूठा भय दिखाकर आजादी के बाद से सेकुलरिज्म का चोला ओढ़कर अब तक मुसलमानों को छलते ही रहे है। तभी तो देश में आजादी के 67 साल से भी ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी मुसलमानों की तकदीर में कोई बदलाव नहीं आया। इस बारे में देश के प्रत्येक मुसलमान को ठण्डे दिमाग से सोचना चाहिए। 
हासिम ने जोर देकर कहा कि भारत के मुस्लिमों को अब डरने की जरूरत नहीं ।हाशिम ने कहा कि है। कुछ लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से डरने लगे हैं। ये वो हैं जिन्होंने अब तक देश को लूटा और दिल्ली में दलाली की। कुछ वो हैं जो मोदी के देश को नई ऊंचाई प्रदान करने वाले कामों से परेशान हैं। बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो उनसे गलत कम करवाना चाहते हैं लेकिन मोदी कभी ऐसा नहीं करेंगे। अंसारी ने कहा कि मोदी से देश के किसी मुसलमान को डरने की जरुरत नहीं, अब डरें वो जो गलत काम करते हैं और बेईमान हैं।

23 अप्रैल 2016

जब सरदार पटेल ने पकडी नेहरू उर्फ़ गयासुद्दीन गाजी की देशविरोधी चाल ?


देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बारे में आपने बहुत से किस्सों को सुन रखा होगा।
कई बार कुछ ऐसी बातें हो जाती हैं कि आम आदमी का खून खोलने लगता है । आज़ादी के बाद जहाँ देश राम-राज्य के ख्वाब को पूरा होता हुआ देखना चाहता था तो पंडित जी ना जाने अपना कौन सा ख्वाब पूरा करने में लगे  हुए थे.
ऐसा ही नेहरू का एक किस्सा पुराने लोग बताते है। कुछ पुस्तकें और लोगों की जीवनियाँ बताती हैं कि जब देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी की मृत्यु हुई थी तो नेहरू उनकी अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हुए थे ।यह सवाल उठना लाजमी है कि देश का सर्वोच्च नेता को जब अंतिम श्रंधाजली दी जानी हो तो देश का प्रधानमंत्री वहां मौज़ूद न हो ? 
यहाँ तक कि जब वह राष्ट्रपति के पद से मुक्त हुए थे तो उनको रहने के लिए एक अच्छी और सुविधाजनक जगह का भी इंतजाम प्रधानमंत्री नेहरू ने नहीं किया था डॉक्टर  राजेन्द्र प्रसाद जी के करीबी लोग बताते हैं कि सभी जानते थे कि प्रसाद जी को दमा की बिमारी  थी ,वह जहाँ रह रहे थे उस कमरे में सीलन रहती थी इसी कारण इनकी मौत दमा से जल्दी हो गयी थी। यह जानने के बाद भी नेहरू ने उनको सही आवास उपलब्ध नही करवाया।
उसी कमरे में रहते हुए राजेन्द्र बाबू की 28 फरवरी, 1963 को मौत हो गयी। नेहरू उस दिन जयपुर में अपनी  ‘‘तुलादान’’ करवाने जैसे एक मामूली से कार्यक्रम में चले गए ।यही नहीं, उन्होंने राजस्थान के तत्कालीन राज्यपाल डा.संपूर्णानंद को राजेन्द्र बाबू की अंत्येष्टि में शामिल होने से रोका भी । नेहरु ने राजेन्द्र बाबू के उतराधिकारी डा. एस. राधाकृष्णन को भी पटना न जाने की सलाह दे दी थी लेकिन, डा0 राधाकृष्णन ने नेहरू के परामर्श को नहीं माना और वे राजेन्द्र बाबू के अंतिम संस्कार में भाग लेने पटना पहुंचे।इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि नेहरू किस कदर राजेन्द्र प्रसाद से दूरियां बनाकर रखते थे।
सभी लोग इस बात की सत्यता की जाँच कर सकते हैं. यह जानकर बड़ा आश्चर्य होता है कि गांधी जी ने जानबूजकर कैसे  व्यक्ति के हाथ में देश की बागडौर दे दी थी ।किन्तु सत्य यह है कि गांधी भी नेहरू को पसंद नहीं करते थे ।वजह क्या थी क्या गांधी जी के ऊपर अंग्रेजों का दबाब था ? या गांधी जी हिंदुओं के मुकाबले मुस्लिमों को ज्यादा पसंद करते थे जवाहर लाल नेहरू नहीं चाहते थे कि डा. राजेंद्र प्रसाद देश के राष्ट्रपति बनें ।इनको पता था कि राजेन्द्र जी देशहित को सर्वोपरी मानते है और उनकी हरएक बात को नहीं मानते हैं। इसीलिए नेहरू ने एक झूठा दांव खेला और इसमें वह खुद ही फंस गये थे।
नेहरु ने 10 सितंबर, 1949 को डा. राजेंद्र प्रसाद को पत्र लिखकर कहा कि  मैंने और सरदार पटेल ने फैसला किया है कि सी.राजगोपालाचारी को भारत का पहला राष्ट्रपति बनाना सबसे बेहतर होंगा । नेहरू ने जिस तरह से यह पत्र लिखा था,  उससे डा.राजेंद्र प्रसाद को घोर कष्ट हुआ और उन्होंने पत्र की सत्यनिष्ठा प्रमाणित करने के लिए उसकी  एक प्रति सरदार पटेल को भिजवा दी। क्योकि राजेन्द्र जी जानते थे कि पटेल जी कुछ कहना होता है तो वह सामने से बोलते हैं छुपकर नहीं बोलते।
पटेल उस वक्त बम्बई में थे. कहते हैं कि सरदार पटेल उस पत्र को पढ़ कर सन्न थे, क्योंकि, उनकी इस बारे में नेहरू से कोई चर्चा नहीं हुई थी कि राजाजी (राजगोपालाचारी) या डा. राजेंद्र प्रसाद में से किसे राष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए. न ही उन्होंने नेहरू के साथ मिलकर यह तय किया था कि राजाजी राष्ट्रपति पद के लिए उनकी पसंद के उम्मीदवार होंगे।
सरदार  पटेल जी ने यह बात राजेन्द्र बाबू को बताई कि मेरी नेहरू से इस सन्दर्भ मे कोई चर्चा नही हुई है ।
 और नेहरू को पत्र लिखा और नेहरु का यह झूठ पकड़ा गया।
इसके बाद पटेल जी समझ गये थे कि नेहरू देश के साथ गद्दारी कर रहा है ।तब बात ज्यादा बढ़े इससे बचने के लिए जवाहर लाल नेहरू ने राजेन्द्र प्रसाद को ही राष्ट्रपति चुन लिया था. किन्तु जब तक प्रसाद जी पद पर रहे  नेहरू अपनी पूरी दुश्मनी प्रसाद जी से निकालते रहे। 

भगत सिंह आज होते तो क्या करते ?

                                                                                               भगत सिंह  भारत के पानी ,जोश , हिम्मत और नौजवानी के प्रतीक हैं और भारत का  हर नौजवान उनकी तरह होना चाहेगा । लेकिन वैसा बहादुर होना क्या आसान है ? उसके लिए अपने को शरीर नही बल्कि एक देशप्रेम से ओत प्रोत आत्मा मानना पड़ता है ।
वैसे तो अंग्रेज़ी हुकूमत में राजद्रोह का आरोप कई लोगों पर लगा था   जैसे गांधी, तिलक, एनी बेसेंट, पर भगत सिंह आपने आप मे बेजोड़ थे। उनको झुकाना आसमान को झुकाने के सामान था। आज के दौर के सेकुलरिज्म नेता शशि थरूर ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों  के सामने कन्हैया की तुलना भगत सिंह से करके अपनी बुद्धि का परिचय दे ही दिया। उनके द्वारा भगत सिंह के नाम पर हंसी की लहर दौडाई गई । थरूर ने भी इसका मज़ा लिया और कहा, 'हां! भगत सिंह उस दौर के कन्हैया ही थे.'
जो भी राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानेगा उसको बुरा जरूर लगेगा। भारतीय जनता पार्टी को यह तुलना नागवार गुजरी उन्होंने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी कि कहां भगत सिंह, कहां कन्हैया । पर सेकुलरिज्म का चोला ओढ़कर अपनी राजनीती चमकाने वाले कांग्रेसी चुप रहे। कॉंग्रेस ने तथाकथित नेता ने  भगत सिंह की तुलना करके भगत सिंह का अपमान किया गया ।क्रांतिकारी और राष्ट्रप्रेमी भगत सिंह ने देश पर सब कुछ न्योछावर करके और ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाते हुए फांसी का फंदा चूम लिया था। कन्हैया तो जनता के टैक्स के पैसे पर जेएनयू में मौज कर रहा है और देश की पहली राष्ट्रवादी सरकार पर हमले कर रहा है! ( हालांकि भगत सिंह के आख़िरी पलों के ब्योरे में जिस नारे का जिक्र है, वह है : इन्कलाब जिंदाबाद! साम्राज्यवाद का नाश हो! लेकिन राष्ट्रवादियों को कुछ भी कह देने की अनुमति है, उनके लिए तथ्यों को काँट छाँट करने की क्या ज़रूरत ?  अक्सर लोग पिछली पीढ़ी के किशी आदर्श पुरुष को सम्भोदित करते हुए कहते सुने गए है कि अगर वो होते तो  क्या करते ?  क्या वे इस दमनकारी राज्य का विरोध करते या चुप्पी मारकर बैठे रहते ? क्योंकि आज हम आठों पहर भारत माता की जय का नारा लगाते हुए  भी यह सब देख रहे हैं कि भारत माता को गाली दो , देश के खिलाफ जहर उगलो, इसको लूटने की नियत रखो और चर्चित नेता बन जाओ। जवाब हमें खोजना होगा. तभी हम भगत सिंह की किसी से तुलना और उसकी उपयुक्तता पर भी बात कर पाएंगे.

धरती चपटी है। किशी ने गोल कहा तो गोली मार देंगे। बोको हराम

नाइजिरिया के मुस्लिम आतंकी संगठन बोको हराम ने फतवा जारी करने के बाद वहां के उन शिक्षको को मारना शुरू कर दिया है जो बच्चों को यह पढ़ाते है कि पृथ्वी गोल है ।इसके पीछे बोको हराम ने ये यह तर्क दिया है की विज्ञान मूर्खता है।कुरान में लिखा है की धरती चपटी है इसलिए जो भी शिक्षक बच्चों को बताएगा की धरती गोल है वो कुरान का अपमान करेगा और उसे गोली मार दी जायेगी।आपको बता दें की बोको हराम एक मुस्लिम आतंकी संगठन है जो की कुरान के आदेश पर अपनी कार्यशैली चलाता है। पिछले साल बोको हराम ने गैर मुस्लिम लड़कियों को अगवा कर बुर्खा पहना  कर मुस्लिम बना दिया था और कहा था कि यदि बुर्खा उतारा तो कत्ल कर दिए जाओगे।

22 अप्रैल 2016

पाकिस्तान ने भारत की शान मे गुस्ताखी की तो परिणाम बलूचिस्तान भारत का हिस्सा। सूत्र


पाकिस्तान और भारत भले ही कई मुद्दों पर एक दूसरे के विरोधी हों लेकिन उनमें एक समानता है। जैसा कश्मीर भारत के लिए है, वैसा हीं बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए है। दोनों ही देशों के इन प्रांतों में अलगाववाद और हिंसक घटनाएं अपने चरम पर है। पिछले साल कश्मीर के अलगाववादी नेता मसर्रत आलम भट्ट ने जब कश्मीर में 'मेरी जान-मेरी जान, पाकिस्तान-पाकिस्तान','तेरा-मेरा क्या अरमान, कश्मीर बनेगा पाकिस्तान' के नारे लगाए, उस वक्त भारतीयों को थोड़ा गुस्सा और थोड़ा रोना आया। ठीक उसी दौरान या उसके आस-पास बलूचिस्तान के मकरन में पाकिस्तानी सेना ने ड्रोन हमले किए जिसमें पांच बलूची मारे गए थे।  
कश्मीर की तरह बलूचिस्तान में भी हिंसा और अलगाववाद, दोनों पाकिस्तान की अखंडता के लिए नुकसांनदेह हैं। बलूचिस्तान में 1948  से ही पाकिस्तान से आज़ाद होने के लिए आंदोलन होते रहे हैं। ज्ञात हो पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर कब्ज़ा किया हुवा है। यहां अलगाववादियों के नेतृत्व में पाकिस्तान के खिलाफ कम से कम पांच हिंसक आंदोलन हो चुके हैं।आखिरी आंदोलन 2004 में शुरू हुआ था जो अब तक चल रहा है। बलूचिस्तान में अब सामूहिक कब्रें मिलनी आम बात हो गई है। कई बार बलूच के अलगाववादी नेताओं ने भारत से मदद की मांग भी की है। हालांकि भारत ने पिछले साल तक उन्हें ऐसी कोई मदद नहीं की थी। मोदी सरकार आने के बाद दिल्ली में एक बलूच अलगाववादी नेता के प्रतिनिधि को पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान में किए गए अमानवीय कृत्यों के बारे में बोलने की इजाजत दी। ये कहा जाता है कि मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल इसके पक्ष में हैं कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए। इसका असर क्या होता है, अभी ये देखना बाकि है। हालांकि बारत ने अभी भी बलूचिस्तान को खुला समर्थन नहीं दिया है जबकि पाकिस्तान कश्मीर के लिए ऐसा करता है।
बलूचिस्तान के लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान उनके प्रांत में दूसरे लोगों को ठहरा रहा है। कश्मीर में ये भारत के संविधान के तहत दिए गए स्पेशल स्टेटस की वजह से नहीं हो सकता। यह वही विवादित धारा 370 है जिसके तहत कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए कम से कम 5 साल तक वहां रहना जरूरी है। चूंकि वहां माहौल अच्छा नहीं है, इसलिए ना के बराबर लोग ही वहां जाते हैं। पाकिस्तानी विशेषज्ञ भी यह बात मानते हैं कि बलूचिस्तान के लिए भी एक ऐसी ही प्रावधान होना चाहिए।
दोनों हीं देश एक दूसरे पर इस अस्थिरता के लिए आरोप लगाते हैं। पाकिस्तान इस बात को स्वीकारता है कि कश्मीर मुद्दे को उसका समर्थन हासिल है जबकि भारत ने बलूचिस्तान के लिए ऐसा कभी नहीं कहा। अगर आईएसआई कश्मीर में एक्टिव है तो ये मानना बेवकूफी ही होगा कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ बलूचिस्तान में एक्टिव नहीं है। ये सच है कि पाकिस्तान ने कभी भी इसके पीछे ठोस सुबूत नहीं दिए जबकि कश्मीर में उसके हस्तक्षेप के हजारों सुबूत मौजूद हैं। 
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे अमीर प्रांत माना जाता है लेकिन ये अमीरी वहां के लोगों को कभी भी नहीं मिली। वलूचिस्तान में शिक्षा, मेडिकल सर्विसेज या आधारभूत संरचना जैसी कोई चीज नहीं है। भारतीय कश्मीर में ऐसी जरूरी चीजों की व्यवस्था की गई है। कश्मीर का लोकतंत्र बलूचिस्तान से कहीं ज्यादा मजबूत है। भारत ने कश्मीर में निष्पक्ष चुनाव करवाया है। पाकिस्तानी अधिकृत बलूचिस्तान से  किशी भी प्रकार की रिपोर्टिंग प्रंतिबंधित है। 
जाहिर है, जो बदलाव पिछले साल से भारत की नीति में आया है, वो अच्छा है। भारत को इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम रखना चाहिए। भारत संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता का दावेदार है। अगर इस वक्त वो बलूचिस्तान को अपना खुला समर्थन देकर अपनी उम्मीदवारी खतरे में डाल सकता है।