इतिहास का वो काला दिन जो कभी पढ़ाया या बताया नहीं गया और ना ही गांधी को काले झंडे दिखाकर भाग जाने की और आने वाले कल में मुँह ना दिखा पाने की धमकी देने की बात आज के सेक्यूलर पार्टियों के नेताओं ने सामने आने दी। जब गांधी ने खुल कर कहा था मैं भगत सिंह को नहीं बचाऊँगा वो लायक नहीं है क्यूँकि उसने हिंसा का सहारा लिया है और मैं अहिंसक हूँ।
अहिंसा के ढकोसले को असहयोग आंदोलन करके गांधी ने पहले तो स्वतंत्रता संग्राम को दाव पे लगाया इस अहिंसा उसके बाद भगत सिंघ का विरोध किया और तब भी नहीं रुके। भगत सिंह को इसी अहिंसा के नाम पर सूली चढ़ जाने दिया।
जबकि इतिहास जानता है की यदि गांधी ने अंग्रेज़ों द्वारा लाए गए दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर के बदले भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की ज़िंदगी माँगी होती तो अंग्रेज़ इंकार नही कर सकते थे।
परंतु गांधी ने बिना शर्त हस्ताक्षर कर दिए और भगत सिंह को अहिंसा के नाम पर क़ुर्बान कर दिया और स्वतंत्रता संग्राम को धोखा दे दिया।
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