19 अप्रैल 2016

सनातन वैदिक धर्म मे क्या है पति पत्नी के बांये दांये बैठने का चक्कर ?


पति-पत्नी में यह है बाएं-दाएं का चक्कर, इन्हीं से पूर्ण होती है सांसारिक इच्छाएंपति-पत्नी में दाएं, बाएं बैठने का चक्कर क्यों?
सनातन हिंदू शास्त्रों के अनुसार स्त्रीप्रधान कर्म जो या इस सांसारिक जीवन से संबद्ध होते हैं, उनमें स्त्री को बाएं तरफ बैठना चाहिए। उदाहरण के लिए स्त्री-पुरुष का सहवास, दूसरों की सेवा करना तथा अन्य सांसारिक कार्यों में पत्नी के लिए पति के बाई तरफ बैठने का नियम है।
इसी प्रकार  पुरुष प्रधान या पुण्य और मोक्ष देने वाले कर्म हैं जैसे कन्यादान, विवाह, यज्ञ, पूजा-पाठ आदि, उनको करते समय पत्नी दाएं तरफ विराजमान होती है।
संस्कार गणपति
 में कहा गया है कि इन कामों के समय पत्नी को बांयी तरफ बैठना चाहिए , वामे सिन्दूरदाने च वामे चैव द्विरागमने, वामे शयनैकश्यायां भवेज्जाए प्रियार्थिनी। आर्शीवार्दे अभिषेके च पादप्रक्षालेन तथा, शयने भोजने चैव पत्नी तूत्तरतो भवेत।। अर्थात् सिंदूर दान, द्विरागमन के समय, भोजन, शयन, सहवास, सेवा तथा बड़ों से आर्शीवाद लेते समय पत्नी को पति के बाईं तरफ रहना चाहिए।
कन्यादाने विवाहे च प्रतिष्ठा-यज्ञकर्मणि, सर्वेषु धर्मकार्येषु पत्नी दक्षिणत- स्मृता। अर्थात् कन्यादान, विवाह, यज्ञकर्म, पूजा तथा अन्य धर्म-कर्म के कार्यों में पत्नी को सदैव पति के दाईं और बैठना चाहिए।

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