पिछले 27 सालों से बन्द बेहद संवेदनशील रैनावाड़ी स्थित प्राचीन हिन्दू मंदिर में एक बार फिर भक्तो के भीड़ उमड़ रही है।कश्मीरी पंडितो का गढ़ माने जाने वाला रैनावाड़ी इलाके मे आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ जाने के कारण इस मंदिर को बंद कर दिया गया था। कश्मीरी पंडितो की ज्यादा जनसंख्या होने की वजह से ये इलाका हमेशा से आतंवादियो के निशाने पर रहा था, और यह इलाका संवेदशील इलाको में से एक है ! मंदिर के दोबारा खोले जाने से वहां के स्थानीय लोग काफी खुश है और इस मौके पर विशेष पूजा अर्चना की गयी ।
आजतक के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक मंदिर के आस-पास साधु संतो की भीड़ से माहौल भक्तिमय हो गया है ।27 सालो बाद एक बार और मोदी सरकार की नीतियों के कारन एक बार फिर से कश्मीरी पंडितो में अपने धर्म के प्रति आस्था और विश्वास और मजबूत होगा।दरअसल 1990 में यहाँ के कश्मीरी पंडितो को जम्मू और देश के दूसरे इलाको में विस्थापित कर दिया गया था ।और इस मंदिर को बंद कर दिया गया था ।
90 के दशक में रैनावाड़ी से कश्मीरी पंडितो के पलायन के बाद इसे बंद पड़ा देखकर गलत तरीके से मंदिर के जमीन को एक स्थानीय संस्था ने बिल्डर को दे दिया गया था।जिसके पता चलते ही कश्मीरी पंडितो ने कड़ा विरोध करते हुए केस फाइल किया और आखिकार उनकी जीत हुई, और मंदिर का द्वार श्रद्धालुयों के लिए एक बार फिर खोल दिया गया। कश्मीरी पंडितो की माँने तो ये मंदिर काफी प्राचीन है, फिलहाल मंदिर की देखभाल स्थानीय लोग कर रहे है !
आजतक के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक मंदिर के आस-पास साधु संतो की भीड़ से माहौल भक्तिमय हो गया है ।27 सालो बाद एक बार और मोदी सरकार की नीतियों के कारन एक बार फिर से कश्मीरी पंडितो में अपने धर्म के प्रति आस्था और विश्वास और मजबूत होगा।दरअसल 1990 में यहाँ के कश्मीरी पंडितो को जम्मू और देश के दूसरे इलाको में विस्थापित कर दिया गया था ।और इस मंदिर को बंद कर दिया गया था ।
90 के दशक में रैनावाड़ी से कश्मीरी पंडितो के पलायन के बाद इसे बंद पड़ा देखकर गलत तरीके से मंदिर के जमीन को एक स्थानीय संस्था ने बिल्डर को दे दिया गया था।जिसके पता चलते ही कश्मीरी पंडितो ने कड़ा विरोध करते हुए केस फाइल किया और आखिकार उनकी जीत हुई, और मंदिर का द्वार श्रद्धालुयों के लिए एक बार फिर खोल दिया गया। कश्मीरी पंडितो की माँने तो ये मंदिर काफी प्राचीन है, फिलहाल मंदिर की देखभाल स्थानीय लोग कर रहे है !
एक कश्मीरी पंडित ने बताया कि जब कश्मीर में सबकुछ ठीक था तब इस मंदिर में अमरनाथ यात्रा के दौरान लंगर बांटा जाता था, भगवान भैरव के जन्म दिवस पर इस मंदिर में खास आयोजन किया जाता था, देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहाँ आते थे और कुछ विदेशी भक्त भी इस मंदिर के दर्शन को पहुंचते थे ! कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के मुताबिक 1990 से पहले कश्मीर में 583 मंदिर थे जिसमे से बहुत से मंदिरों को आतंकवादियों ने तोड़ दिया था और कश्मीरी पंडितों का क़त्ल कर दिया था।
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