12 अप्रैल 2016

आखिर मोलवी आतंकवादियों के खिलाफ फतवा जारी करने मे क्यों कतराते है ।

 
 मुस्लिम मोलवी या अन्य धर्म गुरु चाहे वह पाकिस्तान मे हों या सारे विश्व के किशी भी देश के रहने वाले ही क्यों न हो, एक बात सोचने पर विवष करती है कि इस्लाम  धर्म की शिक्षा और जीवन जीने की सीख देने वाले मुल्ला और मोलवी  आखिर क्यों जेहाद के नाम पर दंगा और मासूम लोगों की हत्या करने वाले क्रूर आतंकी संगठनो के लिए कुछ भी लिखने, कहने से मुँह मोड़ लेते है। समाज के सुधार का बीड़ा उठाने के मक़सद से मठाधीस बने ये महानुभाव लोग  कट्टरपंथ को स्थापित करने मे बिलकुल भी पीछे नजर नही आ रहे हैं। दूसरे धर्म के लोगों को मिटाकर अपने धर्म को स्थापित करने के लिए और इंसानियत को ताक पर रखकर  आखिर ये कोण सी सुख और शांति को पाना चाहते है कोई नही जनता। ये जिस चीज को पाना चाहते है उसको पाने के लिए इनको चाहे कितने भी मासूम लोगों की जिंदगी को मोत के घाट उतारना पड़े, कोई फर्क नही पड़ता  ।आतंकवादियों द्वारा इस्‍लाम के नाम पर मासूमों और बेगुनाहों को कत्ल कर देना , महिलाओं  का बलात्कार कर देना क्या सही है? यदि नहीं तो फिर क्यों मुस्लिम बद्धिजीवी मुल्ला और  मौलवी पाकिस्‍तान के पेशावर में मासूमों को गोलियों से भून देने वालों के खिलाफ फतवा जारी करने मे दिलचसबी नही दिखा रहे हैं।क्या इस्लाम जेहाद करने और इस्लाम को न मानने वाले के कत्ल की इजाजत देता है ?  यह सवाल आज सभी मानवतावादी लोगों को परेशान कर रहा है जो अपने धर्म से ऊपर इंसानियत के धर्म को मानते है ताकि इस छोटे से जीवन मे लोग आपसी भाईचारे  और शांति से रहें।

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