30 अप्रैल 2016

दुनिया मे हिन्दू सनातन वैदिक धर्म का सबसे बड़ा व् पुरातन मंदिर। अंकोरवाट

पौराणिक काल का कंबोजदेश का नाम इतिहास मे बदलते बदलते पहले कंपूचिया और फिर आज लोग इसको कंबोडिया के नाम से जानते हैं। सर्वप्रथम विश्व मे सनातन वैदिक धर्म होने के कारण ये हिन्दू देश था पर फिर गौतम बुद्ध के कलयुग मे अवतरण होने के बाद यह देश बौद्ध हो गया, यहां के ज्यादातर लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया लेकिन हिन्दुओं ने आज भी भगवन विष्णु के मंदिर को आबाद कर रखा है। सदियों से इस काल खंड में 27 राजाओं ने राज किया। कोई हिंदू रहा, कोई बौद्ध। यही वजह है कि पूरे देश में दोनों धर्मों के देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बिखरी पड़ी हैं। भगवान बुद्ध के साथ साथ यहाँ  शायद ही कोई ऐसी खास जगह हो, जहाँ ब्रह्मा, विष्णु, महेश में से कोई न हो और फिर अंगकोर वाट की बात ही निराली है। ये दुनिया का सबसे बड़ा विष्णु मंदिर है।
भगवान विष्णु के सम्मान करने के लिए बनाया गया अंगकोर वाट मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है और देवताओं के घर की एक प्रतिकृति माना जाता है। यह जगह अत्यंत पवित्र है।यह मंदिर दुनिया  में सबसे बड़ा धार्मिक मंदिरों में से एक है। पांच बड़े टावरों के मध्य का टावर जिसको  मेरु पर्वत के नाम से जानते है और जहां भगवान् शिव का स्थान है, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवन शिव दुनिया के केंद्र में रहते हैं।इस मंदिर में 108 कमल कली के आकार के टॉवर हैं , दोनों हिन्दू  और बौद्धों के लिए एक पवित्र स्थानों  में से हैं। 2,000 से अधिक दिव्य अप्सराओं की मूर्तियां यंहा दीवारों मे गढ़ी हैं। इन टावरों को अप्सराएं  का टावर कहा जाता है। अविश्वसनीय रूप से, यह बहुत बड़ी है, अलंकृत निर्माण मंदिर नक्षत्र 10,500 ईसा पूर्व के ड्रेको वसंत विषुव के लिए साथ संरेखित करता है। यह मंदिर बहुत रहस्यमयी है इतना विशाल आकार का मंदिर बहुत ही शांतिमय और सुखद वातावरण में है अंगकोर वाट की कलाए अद्भूत हैं |
सीताहरण, हनुमान का अशोक वाटिका में प्रवेश, अंगद प्रसंग, राम-रावण युद्ध, महाभारत जैसे अनेक दृश्य बेहद बारीकी से उकेरे गए हैं। अंगकोर वाट के आसपास कई प्राचीन मंदिर और उनके भग्नावशेष मौजूद हैं। इस क्षेत्र को अंगकोर पार्क कहा जाता है। अतीत की इस अनूठी विरासत को देखने हर साल दुनिया भर से दस लाख से ज्यादा लोग आते हैं।
सदियों पहले इतने भीमकाय पत्थरों को किस तरह तराशा गया होगा और किस तरह इतनी ऊँचाई तक स्थापित किया गया होगा, आज इसकी कल्पना भी कठिन है क्योंकि इस इमारत का एक पत्थर ही कई टनो का है ।भारत के लिए इस मंदिर का ऐतिहासिक ही नहीं पौराणिक महत्व भी है। क्योंकि यहाँ रामायण और महाभारत की कथाएँ उकेरी गई हैं।जो द्वापर व् त्रेता युग की याद दिलाता है। जय सनातन वैदिक धर्म

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