15 अप्रैल 2016

ये लड़ाई यूरोप के सभी स्कूलो मेँ पढाई जाती है पर हमारे देश में इसे कोई नहीं जानता ?


एक तरफ 12 हजार अफगानी लुटेरे  तो दूसरी तरफ 21 सिखअगर आप को इसके बारे नहीं पता तो आप अपने Òkjr ds ohj flD[©k के इतिहास से बेखबर है। आपने ग्रीक सपार्टा और परसियन की लड़ाई के बारे मेँ सुना होगाl इनके ऊपर 400 फिल्म भी बनी है lपर अगर आप सारागढ़ी के बारे मेँ पढोगे तो पता चलेगा इससे महान लड़ाई सिखलैँड मेँ हुई थी l बात 1897 की हैनॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर स्टेट मेँ 12 हजार अफगानोँ ने हमला कर दिया l वे गुलिस्तान और लोखार्ट के किलोँ पर कब्जा करना चाहते थेइन किलोँ को महाराजा रणजीत सिँघ ने बनवाया था lइन किलोँ के पास सारागढी मेँ एक सुरक्षा चौकी थी जंहा पर 36 वीँ सिख रेजिमेँट के 21 जवान तैनात थे ये सभी जवान माझा क्षेत्र के थे और सभी सिख थे l 36 वीँ सिख रेजिमेँट मेँ केवल साबत सूरत (जो केशधारी हों) सिख भर्ती किये जाते थे l ईशर सिँह के नेतृत्व मेँ तैनात इन 20 जवानोँ को पहले ही पता चल गया कि 12 हजार अफगानोँ से जिँदा बचना नामुमकिन है  फिर भी इन जवानोँ ने लड़ने का फैसला लिया और 12 सितम्बर 1897 को सिखलैँड की धरती पर एक ऐसी लड़ाई हुयी जो दुनिया की पांच महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल हो गयी l  एक तरफ 12 हजार अफगान थे  तो दूसरी तरफ 21 सिखयंहा बड़ी भीषण लड़ाई हुयी और 700-1500 अफगान मारे गये और अफगानोँ की भारी तबाही हुयी l सिख जवान आखिरी सांस तक लड़े और इन किलोँ को बचा लिया l अफगानोँ की हार हुयी l जब ये खबर यूरोप पंहुची तो पूरी दुनिया स्तब्ध रह गयी l ब्रिटेन की संसद मेँ इन 21 वीरोँ की बहादुरी को सभी ने खड़ा होकर सलाम किया l इन सभी को मरणोपरांत इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया गया l जो आज के परमवीर चक्र के बराबर थायुद्ध के दौरान भारत के सैन्य इतिहास का ये सैनिकोँ द्वारा लिया गया सबसे विचि= अंतिम फैसला था l

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